प्रेस दीर्घा पर अधिकारी और उनके बच्चों का कब्ज़ा
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|वि० सं०|16 अगस्त 2013|
मधेपुरा में स्वतंत्रता दिवस की संध्या को सदर
एसडीपीओ ने बी.एन.मंडल स्टेडियम में हंगामे की वजह मीडियाकर्मियों के द्वारा
तस्वीरें लेना बताया तो जिले के एक दारोगा ने मीडियाकर्मियों को ऐसी बात कही जिसे
कहने से बिहार के डीजीपी और मुख्यमंत्री भी बचते हैं.
स्टेडियम
में चल रहा कार्यक्रम कई बार दर्शकों के हंगामे का शिकार हुआ. दर्शकों की भारी भीड़
के बैठने की व्यवस्था जहाँ प्रशासन के द्वारा संतोषप्रद ढंग से नहीं की गई थी,
वहीँ मीडियाकर्मियों के बैठने के लिए बनाई जगह पर जिले के सूटेड-बूटेड अधिकारियों
ने अपना कब्ज़ा जमा लिया था. अधिकारी आते गए और मीडियाकर्मियों को यह कहकर वे उठाते
चले गए कि आपलोगों के लिए कुर्सियां मंगवा देते हैं, पर नहीं मंगवाई गई कुर्सियां.
मीडियाकर्मियों ने जब खड़े होकर तस्वीरें लेनी चाही तो एसडीपीओ कैलाश प्रसाद ने
उन्हें रोकते हुए कहा कि आपलोग खड़े होकर तस्वीर ले रहे हैं, इसी की वजह से यहाँ
हंगामा हो रहा है. जब उन्हें बैठने की व्यवस्था नहीं होने की बात बताई गई तो
उन्होंने जमीन की तरफ इशारा करते कहा कि जहाँ बैठना है बैठिये, पर खड़ा होकर फोटो
नहीं खींचिए.
नाराज
कई मीडियाकर्मी वहां से बाहर मैदान में आ गए तो वहां पिस्टल लटकाए एक दरोगा ने
मीडियाकर्मियों से ऐसी बात कही जिसे कहने से जिले के आलाधिकारी ही नहीं, डीजीपी और
मुख्यमंत्री भी बचते रहे हैं. द्रवेश कुमार नामक इस एस.आई. ने वर्दी के खुमार में कहा
कि डीएसपी को उचित लगा तो आपलोगों को निकाल दिया. आपलोगों को जो लिखना है लिखिए
हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है. पुलिस ने अपना काम किया. काफी देर तक ‘कर्तव्यनिष्ठ’ दरोगा जी हुज्जत करते रहे और
मीडिया को नीचा दिखाने के प्रयास में लगे रहे. हालांकि ये अलग बात है कि अगली बार
भगदड़ होने पर भी ये उसे रोकने का प्रयास नहीं कर अपनी जगह पर ही खड़े बाते करते
रहे. जुम्मा जुम्मा आठ दिन की नौकरी वाले इस दारोगा जी को शायद ये नहीं पता कि
किसी भी लोक सेवक की जिम्मेवारी मीडिया के प्रति भी होती है और इस तरह की भाषा
का प्रयोग अपराधी किया करते हैं.
हैरत की
बात तो यह रही कि डीएसपी खुद मंच के बिलकुल सामने जाकर मोबाइल से कार्यक्रम की
तस्वीरें लेते रहे और हंगामे की वजह मीडियाकर्मियों के द्वारा तस्वीर लेना बताया.
अदूरदर्शिता का परिचय देने वाले डीएसपी कैलाश प्रसाद जरा ये तो बताएं कि
मीडियाकर्मियों के निकल जाने के बाद कुर्सियां क्यों टूटीं और पुलिस ने खदेड़-खदेड़
कर दर्शकों को क्यों पीटा ?
डीएसपी को मीडिया से एलर्जी तो दारोगा की भाषा अपराधी जैसी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 16, 2013
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