|नि.सं.|01 जुलाई 2013|
केदारनाथ...बद्रीनाथ...तीर्थयात्रा....सारे शब्द अब कई लोगों को खौफनाक लगते हैं. घर बैठे टीवी
पर तबाही के दृश्य देखकर लोग
आह..उह...भले कर लें, लेकिन कुछ ही पल के बाद फिर काम-काज में लग जाने वाले लोग
क्या जानें उस हकीकत को जो मौत के मुंह से बाल-बाल
बच निकले लोग बता रहे हैं.
केदारनाथ...बद्रीनाथ...तीर्थयात्रा....सारे शब्द अब कई लोगों को खौफनाक लगते हैं. घर बैठे टीवी
पर तबाही के दृश्य देखकर लोग
आह..उह...भले कर लें, लेकिन कुछ ही पल के बाद फिर काम-काज में लग जाने वाले लोग
क्या जानें उस हकीकत को जो मौत के मुंह से बाल-बाल
बच निकले लोग बता रहे हैं.
मधेपुरा
के सिंहेश्वर के नौ सुरक्षित बचे तीर्थयात्री को अब भी भय से नींद नहीं आती.
उन्हें अभी भी लगता है कि वे पहाड़ पर ही हैं और मुसीबत टली नहीं है. इनमें से कुछ
की भगवान पर आस्था तो अब भी बची है पर कुछ की आस्था डगमगा चुकी है. इनमें से सारे
अब कभी किसी तीर्थयात्रा पर नहीं जायेंगे.
दहशत का
अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि परिवार के लोग भले अब खुश हैं लेकिन लाशों
के बीच से कई रातें काट कर लौटे लोग अभी भी रह-रहकर बिलखने लगते हैं तो घर के लोग
भी रो पड़ते हैं.
मौत के
मुंह से जिन्दा लौटे एक तीर्थयात्री की भयावह आपबीती आप भी सुनिए.
त्रासद कथा(1): ‘भगवान से उठ गई आस्था, कभी नहीं जायेंगे तीरथ’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 01, 2013
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July 01, 2013
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