|नि.सं.|01 जुलाई 2013|
उत्तराखंड त्रासदी का आलम ये था कि जान बचने लोग
नीचे नहीं पहाड़ पर ऊपर की तरफ ही भागते थे. नीचे सब कुछ बर्बाद नजर आ रहा था.
हैलीकॉप्टर को हाथ दिखाने का कोई फायदा नहीं नजर आ रहा था. बर्बादी के बीच वहां
व्यवसाय चला रहे लोग चाहते थे कि इनका सारा पैसा लूट लें. जीवित बचे लोगों की
आँखों के सामने बड़े-बड़े घर गिरते नजर आ रहे थे. बाद में लाशों की दुर्गन्ध के बीच
से श्रद्धालु किसी तरह निकले.
मधेपुरा
की शीला देवी भयाक्रांत कहती है कि तीन बजे सुबह जब घर गिरने लगे तो वे लोग ठहरे
लॉज से निकल कर भागे, पर रास्ता नहीं था. शीला देवी बताती है कि एक समय वे चारों
तरफ से घिर गए तो एक शौचालय के ऊपर चढ़ कर कूद कर दूसरी ओर गए थे.
दहशत अब
भी इनकी आँखों से साफ़ झलकता है वहाँ फिर जाने की बात पर कहती है अब जीवन में कभी ऐसा
काम नहीं करेंगे और न ही अपने बाल-बच्चों को तीरथ जाने को कहेंगे.
सुनें पीड़िता को इस वीडियो में, यहाँ क्लिक करें.
सुनें पीड़िता को इस वीडियो में, यहाँ क्लिक करें.
त्रासद कथा(2): जान बचाने के लिए पहाड़ पर ऊपर की ओर भागते थे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 01, 2013
Rating:
![त्रासद कथा(2): जान बचाने के लिए पहाड़ पर ऊपर की ओर भागते थे](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_Ge0E6XFXphRKLM4xY_o_J7ITdhzLHtiLz7pTMaXtddovpDILo4xC25NKYrbZI4tHuoXp9IEl7we0sDwYfvUGMzg4zo4KFYB0yS2_NnmFOrOT1SfLFvC4GR49X-CGolhWcPIc91bxWcM/s72-c/snapshot_001.jpg)
No comments: