देश के उच्चतम न्यायालय ने 9 दिसंबर 2009 को एनजीओ,
बचपन बचाओ आंदोलन के द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान भारत के
सौलीशीटर जेनरल से पूछा था कि जब आप कहते हैं कि वेश्यावृत्ति दुनियां का सबसे
पुराना व्यवसाय है और क़ानून के द्वारा आप इसे खत्म करने से सक्षम नहीं हैं तो
क्यों नहीं इसे कानूनी मान्यता दे देते हैं ? तब आप इसकी मॉनिटरिंग कर सकते हैं,
इसके पुनर्वास की व्यवस्था के साथ इन्हें मेडिकल सहायता भी दे सकते हैं. न्यायालय
ने विचार तक रखे कि यदि इसे कानूनी मान्यता दे दी जाय तो ‘ट्रैफिकिंग’ पर रोक लग सकती है. वैसे भी
दुनियां के किसी भी क्षेत्र में कड़ाई से इसे नहीं रोका जा सका है.
हालांकि इससे पूर्व जुलाई 1997
में गौरव जैन बनाम यूनियन ऑफ इन्डिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृति को
‘मानवता के विरूद्ध
अपराध, मानवाधिकार का उल्लंघन और संविधान तथा मानवाधिकार अधिनियम को ठेस पहुंचाने
वाला’ कहते हुए सरकार को
निर्देश दिया था कि महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने के लिए वेश्यावृति के
प्रत्येक रूप को समाप्त करें.
दरअसल
अबतक दुनियां भर में जहाँ भी वेश्यावृत्ति को कानूनी घोषित किया गया हैं वहाँ इसके
लिए सरकार द्वारा खास नियम बना दिए गए हैं जिससे कहा जाता है कि वैसे जगहों पर
‘गर्ल्स ट्रैफिकिंग’, लड़कियों को इस धंधे में जबरन
धकेलने की घटना या इससे सम्बंधित महिलाओं पर अत्याचार में कमी आई है. जबकि भारत
में ये बड़ा मुद्दा है.
भारत
में वेश्यावृत्ति से सम्बंधित मूल क़ानून ‘अनैतिक व्यापार (निरोध) अधिनियम 1956’ भी तकनीकी रूप से पूरी तरह इस
धंधे को निजी रूप से करने पर रोक से सम्बंधित क़ानून की व्याख्या नहीं कर पाता है.
पर हाँ, सार्वजनिक स्थानों पर ग्राहकों को प्रलोभन देने आदि पर कानूनी रोक अवश्य
है. हालांकि इस क़ानून में वर्ष 1978 और 1986 में में संशोधन भी किये गए पर क़ानून
अपना लक्ष्य पूरा करने में असफल रहा.
सवाल
बड़ा है, यदि क़ानून के शब्दों की तकनीकी गहराई में जाएँ तो भारतीय क़ानून अनैतिक
व्यापार अधिनियम के अनुसार वेश्यावृति ‘अनैतिक’ है न कि ‘गैरकानूनी’.
मालूम
हो कि कई देशों में लाइसेंसी वेश्यालय संचालकों द्वारा सरकार को बड़ी मात्रा में
टैक्स भी दिए जाते हैं और सरकार भी उन्हें चिकित्सीय सहायता आदि प्रदान करती हैं.
वेश्यावृत्ति
को कानूनी मान्यता मिले या नहीं, ये तो बड़े बहस का मुद्दा है पर कई लोगों का ये भी
मानना है कि भारत जैसे देश में जहाँ दुष्कर्म की घटनाएं खास कर बच्चियों के साथ
लगातार बढ़ रही है, वहां यदि वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दे दी जाय तो ऐसे
घटनाओं में कमी आ सकती है. पर बाल वेश्यावृत्ति या इस धंधे में जबरन धकेले जाने के
खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता तो पड़ेगी ही.
क्या वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 27, 2013
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