मधेपुरा जिला मुख्यालय के मेन रोड में कई दशकों से
जूते बना रहे गणेश राम अपने भविष्य को लेकर आज काफी चिंतित हैं. बैंक से लोन लेकर
गणेश ने अपना लघु चर्म उद्योग स्थापित किया जिससे वह अपने परिवार का पेट भर पाता
था. जूते बनाने में गणेश की दक्षता इतनी बढ़ गई कि आज मधेपुरा के इस लघु चर्म
उद्योग के तैयार जूते पूरे उत्तर भारत भेजे जा रहे हैं.
पर इस
बार के बजट में विदेशी जूतों को सस्ता कर देने से अब गणेश दुविधा में हैं. वर्षों
का जमा धंधा यदि छोड़ दें तो फिर परिवार का भरण-पोषण कैसे करें. सस्ते जूते बनाकर
ही गणेश अच्छी आमदनी कर लेता था, पर अब सरकार से इस बजट में विदेशी जूओतों के
सस्ते होने से गणेश के ‘हैंडमेड शूज’ हाशिए पर चले जायेंगे और लोगों के पैर में होंगे चमकते
विदेशी जूते.
जानकारों
का मानना है कि सरकार के ऐसे फैसले से देश के ग़रीबों के धंधे पर चोट पड़ेगी और गणेश
जैसे छोटे चर्मकारों के पेट पर तो सरकार ऐसे बजट थोपकर सिर्फ लात ही नहीं बल्कि
लात-जूते दोनों ही चला रही है.
छोटे चर्मकारों के पेट पर वित्त मंत्री ने मारे जूते
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 02, 2013
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