जिले में मैट्रिक परीक्षा का हाल बेहाल है.
चींट-पुर्जे छात्रों का भविष्य लिख रहे हैं. महिलाऐं यहाँ भी अपने सशक्तिकरण का
उदहारण पेश कर रही हैं और नक़ल में ज्यादा अकल लगा रही हैं. बाहर से मधेपुरा
परीक्षा देने आई छात्राओं के साथ आये अभिभावक न सिर्फ उन्हें सुरक्षा प्रदान कर
रहे हैं बल्कि केन्द्रों पर जमे उन्हें पुर्जे मुहैया कराने का धर्म निभा रहे हैं.
केन्द्रों
के अंदर यदि महिला पुलिस महिला परीक्षार्थियों की शारीरिक जांच करती है तो उनके
पास से पुर्जों का जखीरा ही निकलता है. प्रशासन की कड़ाई के बावजूद मधेपुरा में
कदाचार की गंगा बह ही जाती है. वीक्षक, केन्द्र पर जमे सिपाही आदि भी नक़ल में
सहयोग करते दिखाई देते हैं. वे मानते हैं कि मधेपुरा में यही परम्परा रही है और वे
मात्र परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं.
जिला
मुख्यालय के शान्ति आदर्श मध्य विद्यालय में जांच के दौरान पुर्जों की भरमार देखा
गया. बीईओ जवाहर प्रसाद यादव से पूछने पर उन्होंने कहा कि यहाँ चोरी तो नहीं चल
रही है फिर कहते हैं अच्छा देखते हैं.
जब
अधिकारी ही देखते रह जायेंगे तो कदाचार रोकने की प्रशासन की मंशा कितनी सफल होगी
यह कहना मुश्किल है.
चींट-पुर्जों का निकलता है जखीरा: महिलायें यहाँ भी आगे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 16, 2013
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March 16, 2013
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