मधेपुरा में इंटर की परीक्षा. परीक्षार्थियों की कुल
संख्यां 31 हजार 118. अगल-बगल के जिलों में परीक्षाथियों की संख्यां तुलना में
काफी कम. यही कारण है कि मधेपुरा के शिक्षा माफियाओं के मगरमच्छी जबरे में प्रशासन
खुद को बेबस और असहाय महसूस करती है.

जिले
में शिक्षा माफियाओं का बोलबाला
आज से नहीं है. दशकों से इनका अंडरवर्ल्ड यहाँ
सशक्त है. इन माफियाओं का जाल सिर्फ देश भर में ही नहीं बल्कि नेपाल सरीखे विदेशों
में भी इनके एजेंट बहाल हैं. फॉर्म भरवाने से लेकर बेहतरीन रिजल्ट तक की फुल
गारंटी. यही वजह है कि परीक्षा के समय में मधेपुरा बन जाता है छात्रों का
महाकुम्भ.

एक-एक
एजेंट जिसमें कथित प्रोफ़ेसर से लेकर टुच्चे किस्म के दलाल तक शामिल होते हैं, एक
सीजन में लाखों रूपये की कमाई कर लेते हैं. कई प्रोफ़ेसर तक इन दूर से आए ठेके के
परीक्षार्थियों को अपने घर पर या होटल में रहने तक की करते हैं व्यवस्था क्योंकि
ये होते हैं कुबेर का रूप. यानि कि मधेपुरा में एक साल में मैट्रिक से लेकर बी.ए.
तक का लिया जाता है ठेका और होता है प्रति वर्ष करोड़ों का अवैध कारोबार और अब तो
इन शिक्षा माफियाओं की इसी हराम की कमाई पर राजनीतिक पहुँच इतनी है कि यदि किसी
अधिकारी ने इन्हें पूरी तरह रोकने की की कोशिश तो हो सकते हैं जिलाबदर क्योंकि
इनका मानना है कि जब तक इनकी पहुँच सत्ता तक है तब तक मधेपुरा में अँधेरा कायम
रहेगा.
मधेपुरा के शिक्षा माफिया सूबे में सबसे ताकतवरों में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 18, 2013
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