(28 जनवरी 2013)
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मधेपुरा के सांसद शरद
यादव का कहना है कि विभिन्न विभागों से लिए जाने वाले ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ विकास में बाधा पहुंचाते हैं.
कोसी के विकास पर बात के क्रम में शरद यादव ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के
सम्बंधित नहर का एक इंजीनियर जो फुलौत का है उसने अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दी,
जिसकी वजह से कई पुलों का निर्माण बाधित है. अन्यथा विश्व बैंक की मदद से सारे काम
शुरू हो जाते. उन्होंने खिन्न शब्दों में कहा कि हम कहाँ छोटे-छोटे आदमी से बात
करें. वो फुलौत का एक आदमी काम रोक रखा है. गणतंत्र दिवस पर मधेपुरा में जदयू
कार्यालय में झंडोत्तोलन करने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने
कहा कि एनओसी के तमाशा के कारण हम तंग आ गए हैं. उस इंजीनियर को खबर करो. क्यों
नाश कर रहा है? जल्दी से काम होगा तो इलाके के बहुत से लोगों को बड़ी सुविधा
पहुंचेगी.
उन्होंने
अपनी असमर्थता भी यह कहकर दिखाई कि मेरे प्रयास के बाद भी एक छोटा सा इंजीनियर काम
को नहीं होने दे रहा है. शरद यादव के पूछने पर वहां कार्यकर्ताओं ने उस इंजीनियर
का नाम राजेश कुमार बताया. शरद ने कार्यकर्ताओं को उस इंजीनियर से यह कहने को कहा
कि तुम्हारा भी घर यहीं है, तुम्हारे बाल-बच्चे भी यहीं रहते हैं. इस काम को जल्द
कर दो.
मधेपुरा
टाइम्स ने जब विकास में बाधा पहुंचाने वाले उस इंजीनियर के बारे में पता किया तो
हमें जानकारी मिली कि करोड़ों में संपत्ति अर्जित कर चुके राजेश कुमार जल संसाधन
विभाग में मुख्य अभियंता के पद पर हैं. फुलौत के कई लोगों का कहना था कि उसे इलाके
के विकास से नहीं बल्कि अपने विकास से ज्यादा मतलब रहता है.
देखा
जाय तो देश के एक बड़े नेता यदि एक छोटे इंजीनियर से तंग हैं तो ये इस बात को
दर्शाता है कि सूबे सहित देश में विभिन्न कुर्सियों पर बैठे कई अधिकारी किस तरह
मनमानी कर राज चला रहे हैं और उन्होंने राष्ट्र स्तर के नेताओं तक को पंगु बना रखा
है.
(वि० सं०)
एक छोटे इंजीनियर से तंग आ गए हैं शरद यादव
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 28, 2013
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इसमें कौन सी नई बात है,कि सूबे सहित देश में विभिन्न कुर्सियों पर बैठे कई अधिकारी किस तरह मनमानी कर राज चला रहे हैं और उन्होंने राष्ट्र स्तर के नेताओं तक को पंगु बना रखा है।सबसे बड़ा आश्चर्य की बात तो ये है की इतने बड़े नेता जी को ऐसी जानकारी होने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल रहा है,और चन्हुओर ये कहते अघाते नहीं है की इनकी सरकार इस राज्य (बिहार) में सुशाशन की स्थापना की है और सूबे में सुशाशन की सरकार चलाई जा रही है।सिर्फ हवाबाजी और कागजी कार्यों से सुशाशन नहीं लाया जा सकता है।ये सरकार तो अपने पूर्ववर्ती सरकार से भी लाख गुना ज्यादा भ्रष्ट है.ऐसी बात या ऐसी स्थिति कोई नयी नहीं है इस समाज में ऐसे कीड़े-मकोड़े का प्रादुर्भाव सदियों पहले से होते आ रहा है,जरूरत तो है सिर्फ पत्थर को तबियत से उछालने की।यही जज्बा,हिम्मत,ताकत और औकात ऐसे नेता जी को नहीं है की वो इस सिस्टम को बदले या ऐसे लोगो को फ़ौरन दण्डित करे या फिर इनका विरोध करे।वोट बैंक,राजनीतिक नुकसान,और अन्य कई वजह से ही ऐसे -ऐसे लोग अपना पाँव बड़े आराम से पसारते चले जा रहे है।ये नेता जी आँख पर पट्टी बांधकर जीते है और अपने बयान से ये दिखाते है की ऐसी किसी गतिविधि से वो अभी तक रूबरू हुए ही नहीं है या ऐसा भी होता है और होता आ भी रहा है।
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