हमारी
मातृभाषा हिन्दी आज दुनिया में व्यापक फलकों पर
उभरने लगी है। भारत भर में हिन्दी के महत्त्व को इतना अंगीकार कर लिया गया है कि अब हिन्दी जन-जन की भाषा के रूप में
अपनी गहरी पैठ बना चुकी है। आधुनिक बाजारवाद और वैश्वीकरण
के दौर में हिन्दी अब नवीन स्वरूपों में विकास करने लगी है।
हिन्दी
की व्यापकता अब रफ्तार पकड़ चुकी है। अब रूढ़ीवादी
प्रयासों को छोड़ कर हिन्दी के निरन्तर विकास हेतु प्रयत्नशील रहने की जरूरत है। वर्तमान में हिन्दी की समस्याओं व संभावनाओं
पर चर्चा करें तो इसके अनन्त फलक हमारे सामने आते
हैं। जरूरत इन्हें अपनाकर नए रास्तों के तलाश की है।
हिन्दी
बिना किसी सहारे के स्वयं अपने बल पर
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुई है। आधुनिक बाजारवाद से हिन्दी का विकास ही हुआ है। आधुनिक समय सूचना प्रौद्योगिकी का है। आज
हिन्दी ने अपने सॉफ्टवेयर एवं नवीन तकनीकी के विकास
से सूचना के बढ़ते चरणों में स्वयं को स्थापित किया है। विश्व के अधिकांश देश हिन्दी सीखने को उत्साहित है तथा संयुक्त
राष्ट्र संघ में हिन्दी का प्रभाव बढ़ा है।
हिन्दी
के विकास में द्रविड़ भाषाओं को बाधक मानने की बातें
भी अब बेमानी हो चली हैं। बाजारवाद में हिन्दी के प्राणतत्व एवं भाषायी चरित्र को बनाये रखने की आवश्यकता है। आज की
हिन्दी सर्वत्र समृद्ध व सशक्त होती जा रही है। हिन्दी का
अंग्रेजी के साथ विकास करने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया
जाना जरूरी है।
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और हिन्दी का स्वरूप देखें तो विज्ञान ने
हिन्दी का स्वरूप परिवर्तित कर इसे विकसित किया है। आधुनिक बाजार में हिन्दी व अंग्रेजी के साथ अन्य देशी भाषाओं का
प्रयोग होने से भाषा की स्थिति पर फर्क जरूर आया है, बाजारवादी विज्ञापनों से भाषा पर दुष्प्रभाव भी पड़े हैं लेकिन हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार की बदौलत आज हिन्दी का
स्वरूप निरन्तर निखार पाता जा रहा है।
दुनिया
में मातृभाषा हिन्दी के गौरव में अभिवृद्धि के लिए हर
स्तर पर समन्वित प्रयासों की आज महती आवश्यकता है। हिन्दी जन-जन की भाषा है और हर क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों आदि का लाभ आम आदमी तक
पहुंचाने के लिए हिन्दी भाषा के प्रयोग को लगातार सम्बल प्राप्त हो रहा है।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiE0KaOOloVv-pX2y-TmPe01PMvSStG7KR2AA4YL84Z_QJ_IJkK41gs5wws5dq12DNqhpd-7DOOBosnh8w2rVQUa8G1cMup8mqcMBQHsfyBXaLOh45TcanqYStP3QecEZnKA3HVTYJZI_E/s1600/hindi-adaalat.jpg)
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हमारे
देश का बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास
करता है और उनके लिए सारी सरकारी और गैर सरकारी सुविधाओं का
अधिकाधिक लाभ पहुँचाने के लिए सभी प्रतिष्ठानों, विभागों और
संस्थाओं को हिन्दी में ही अपने कार्य संपादन को
सर्वोच्च महत्त्व देना चाहिए ताकि आम आदमी के लिए संचालित गतिविधियां आम आदमी तक सरलापूर्वक एवं सहजता से पहुंच सकें।
आमजन
को सभी स्थानों पर सहूलियतों के लिए हिन्दी भाषा
के उपयोग में बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक प्रयास जरूरी हैं। इसके साथ ही हर एक को हिन्दी भाषा के प्रयोग हेतु
प्रेरित करने की जरूरत भी है। हिन्दी के समग्र विकास के लिए
आज उन लोगों को आगे आकर काम करना होगा जो हिन्दी के नाम पर कमा खा रहे हैं और अपने प्रतिष्ठान तथा संस्थान चला रहे
हैं।
हिन्दी
का विकास सिर्फ बातों से नहीं हो सकता, अब इसके लिए समर्पित होकर काम करने की जरूरत है। हिन्दी को प्रोत्साहन तथा संबंलन दिए जाने से ही देश का आम
आदमी अपनी भाषा का पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सकता है
और पारस्परिक अन्तःक्रियाओं का पूरा फायदा उठाने में समर्थ हो सकता है। एक राष्ट्र-एक भाषा के सिद्धान्त पर चलकर ही हम
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारतवर्ष का भला
कर सकते हैं।
- डॉ. दीपक आचार्य (9413306077)
वैश्वीकरण से नवीन स्वरूप में उभर रही है हिन्दी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 30, 2012
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