संवाददाता/12 सितम्बर 2012
झाड़-फूंक और भूत भागने के बहाने 55 वर्षीय तांत्रिक
ने एक 16 वर्षीया लड़की का शुरू किया यौन शोषण और उससे भी जब उसका मन नहीं भरा तो
लड़की को फुसला कर ले भागा.पर करीब एक साल बाद तांत्रिक चढ गया पुलिस के हत्थे और
यहाँ उसकी तंत्र विद्या एक न चली और पुलिस ने भेज दिया उसे सलाखों के पीछे.
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परिजन के साथ मीना |
सुपौल
जिले का ये शख्स जिसका नाम महेंद्र है और इसका ससुराल मधेपुरा थाना के घैलाढ़ के
बनचोलहा था.चार बच्चे के बाप महेंद्र राम की पत्नी की मृत्यु कुछ वर्ष पूर्व हो
गयी थी.बनचोलहा की मीना (काल्पनिक नाम) की जब तबियत खराब हुई तो उसके पिता को उसपर
भूत लगने का डर हुआ और फिर भूत छुडाने का दावा करने वाले महेंद्र ने लड़की का इलाज
शुरू किया.इस तांत्रिक ने बताया कि मीना के ऊपर तेरह भूत चढ़े थे मैंने सभी उतारा
पर तीन चार बच गए थे.उसी को उतारने के क्रम में लड़की को मुझसे प्यार हो गया.फिर हम
यहाँ से बंगलौर आदि चले गए जहाँ झुग्गियों में पति-पत्नी की तरह रहे.फिर वापस
सुपौल जिले आये तो लड़की को दूसरे लड़कों से प्यार हो गया और उसने मुझे गिरफ्तार
करवा दिया.जबकि मीना का कहना था कि इसने झाड़-फूंक के क्रम में एक महिला की मदद से
अरवा चावल में तुलसी मिलकर मुझे खिला दिया जिससे मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी फिर
इसने मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना लिया और लेकर भाग गया.एक साल के बाद मैं जब ठीक
हुई तो अपने परिजनों को फोन करके बुलाई.मैं चाहती हूँ कि ये बुड्ढा जेल में ही मर
जाए.
इस
घटनाक्रम की पूरी कहानी किसी बकवास से कम नहीं है और ये दर्शाता है कि हमारे समाज के
कई हिस्सों में अशिक्षा की वजह से अभी भी भूत-प्रेत, ओझा-तांत्रिक का बोलबाला है
जो भूत भागने के नाम पर बीमारों का शोषण करते हैं.जरूरत है सरकार को इन पिछड़े समाज
में भी शिक्षा का अल्कः जगाने की, ताकि अंधविश्वास के चक्कर में लोग इज्जत न गँवा
सके.
बूढ़े तांत्रिक ने नाबालिग लड़की का किया यौन शोषण
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 12, 2012
Rating:

The news that the public is left bereft Madhepura Times highlights! Krishna revolution thanks to the editor on behalf of the Union!
ReplyDeleteसमाज के गंदे लोगो को बेनकाब करने के लिए, मधेपुरा टाइम्स को धन्यवाद देता हूँ !
ReplyDeleteहद हो गयी सामाजिक कुरीतियों और सामाजिक अंध विश्वास का और उससे भी ज्यादा हद तो है सामाजिक व्यवस्था का और समाज में रह रहे लोगों की संवेदनहीनता का /समाज के कानून को ध्यान में रख कर ही विश्व में कानून का निर्माण होता है /तो समाज के ऐसे लोगों को समाज में ही सजा सुना देने में क्या हर्ज ?
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