जिंदगी के मायने तब ही अच्छी थी
ख्वाबो में जिया करती थी,
ख्यालो में खुश रहा करती थी...
खुश थी कुछ न जान कर,
अंजान थी जिंदगी की हकीकत से,
तब ही अच्छी थी ....
ख्यालो में खुश रहा करती थी...
तब न राहों की,
न मंजिलो की कमी थी,
न मंजिलो की कमी थी,
जिंदगी का हाथ पकड़ कर
ख्वाबो में चला करती थी...
ख्यालो में खुश रहा करती थी...
आज जब जिंदगी ने मेरा हाथ पकड़ कर,
इस हकीकत से तब ही अच्छी थी
ख्यालो में खुश रहा करती थी.....
तब न किसी से उम्मीदे थी,
न कुछ खोने का डर था
खुद में सिमटी,खुद में खोई थी...
खुद में सिमटी,खुद में खोई थी...
अकेली थी पर इतनी न अकेली थी ..
आज पूछती हूँ मैं खुद से कि,
मैं ऐसी तो नही थी....
खुश थी जब मैं कुछ नही समझती थी......
ख्यालो में खुश रहा करती थी.....
--सुषमा आहुति, कानपुर
खुश थी जब मैं कुछ नही समझती थी......!!!///सुषमा आहुति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 23, 2012
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apke kabita se bachpan yaad aa gaya, bite samay ko yaad kiya, Thanks for remember child life.
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