घरों को सुसज्जित कर वहां शादी के कार्यक्रमों को
संपन्न कराने में बड़े परिवार के अधिकाँश लोग भले ही आत्मविश्वास से भरपूर नजर आते
हों, पर मंदिरों में शादी का क्रेज अब भी बरकरार दिखता है.मधेपुरा जिले में
सिंघेश्वर मंदिर में होने वाली शादी की तो बात ही कुछ और है.गरीबों के लिए
सर्वोत्तम माने जाने वाले इस जगह पर रोज ही संपन्न घराने के लोग भी
शादी करने
पहुँचते हैं.यहाँ शादी के प्रमाण के रूप में परिजन सिंघेश्वर मंदिर न्यास समिति के
नियंत्रण कक्ष पर विवाह न्यौछावर शुल्क जमा करते हैं जो वर पक्ष के लिए वर्तमान
में २०१/-रू० तथा वधू पक्ष के लिए १५१/-रू० है.शुल्क जमा करने के समय वर और वधू
दोनों के हस्ताक्षर यहाँ लिए जाते हैं और उम्र का भी विवरण लिखाया जाता है ताकि
बाल-विवाह को रोका जा सके.इसके बाद दोनों ही पक्ष मंदिर प्रांगण में प्रवेश कर
किसी खाली जगह पर बैठ विवाह की रस्म अदायगी करते हैं.
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यहाँ के
पुजारी बताते हैं कि लगन के समय एक दिन में यहाँ सैंकडों शादियाँ हो जाती है यानी
पूरे लगन में इसकी संख्यां कई हजार होती है.मंदिर में शादी के पक्ष में खोपैती
निवासी आनंद कुमार सिंह अच्छी तरह समझाते हैं.वे बताते हैं कि आज के भौतिक समय में
टेंट-पंडाल आदि का खर्च यहाँ तो बचता ही है साथ की यहाँ एक रात में ही सारा
कार्यक्रम संपन्न हो जाता है.इस सबसे ऊपर हिन्दू धर्म में भगवान को सबसे ऊपर माना
गया है.सिंघेश्वर जैसे मंदिर में शादी होने पर ईश्वर साक्षात उसके साक्षी होते हैं
जो इस शादी की सबसे बड़ी विशेषता है.
कहने का
,मतलब ये है कि आप घर पर भले ही विलासितापूर्ण विवाह को अंजाम दे दें,पर मंदिर में
भी शादी का क्रेज नहीं होने को है कम.
मंदिर में शादी का क्रेज अब भी है बरकरार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 28, 2012
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