
महज एक दशक में विश्व फलक पर नई सोच और जिम्मेवारी के साथ स्थापित वैकल्पिक मीडिया, विशेषकर ब्लागिंग जगत पर कोसी इलाके के प्रयोगधर्मी रचनाकारों - लेखक, कवि, रंगकर्मी व पत्रकारों ने वैश्विक जिम्मेवारी के साथ अपनी रचनात्मक भूमिका सुनिश्चित कर दी है। ‘मधेपुरा टाइम्स’ http://www.madhepuratimes.com के प्रधान संपादक रूद्र नारायण यादव व संपादक
कोसी क्षेत्र में इधर ब्लागस्पाट पर ‘सहरसा टाइम्स’ ने अपने डोमेन द्वारा नए यूआरएल http://www.saharsatimes.com में परिणत होकर सहरसा के जनजीवन और सामयिक घटनाओं पर ताबड़तोड़ पोस्ट व विडियो जारी कर नेट पत्रकारिता में सार्थक हस्तक्षेप किया है। संपादक विजय महापात्रा व प्रधान संपादक मुकेश सिंह हैं इस पोर्टल के मोडरेटर चंदन सिंह का कहना है- ‘हमारा मकसद है कि हम उन जरुरतजदा लोगों की आवाज बन सकें जो ना केवल अपने हक से महरूम हैं बल्कि जिनकी फरियाद नौकरशाहों से लेकर हुक्मरानों तक अनसुनी की जाती रही है। हम जज्बाती बनकर नहीं बल्कि सच का सिपहसालार बनकर लोगों के हक की आवाज बुलंद करने का पूरा माद्दा रखते हैं।’ आनलाइन वेब पोर्टल में ‘कोसी लाइव डाट काम’ http://www.koshilive.com की अपनी पहचान है। ‘कोशी लाइव’ की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 2005 में विवेक कुमार द्वारा हुई थी. विवेक सहरसा के एक आईटी प्रोफेसनल हैं। 2008 में बिहार में आयी कोसी की बाढ़, बांध टूटने से जो तांडव मचा उसकी तजा तस्वीर, खबर और विडियो के माध्यम से कोसी लाइव की लोकप्रियता

कोसी की साहित्यिक व सांस्कृतिक परंपरा एवं धरोहर को अंतर्जाल पर सहेजने में जुटे हैं युवा ! इसमें संदेह नहीं कि अपनी मिट्टी की सुगंध को क्षेत्र से रोजी रोजगार की तलाश में बाहर गये हमारे युवा भूलते नहीं हैं वे अंतर्जाल पर अपनी उपस्थिति व जन्मभूमि के प्रति लगाव का इजहार ब्लॉग के माध्यम से करते हैं। डा. देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादेमी में उपसंपादक के पद पर कार्यरत हैं। कोसी क्षेत्र को समर्पित कई ब्लाग के मोडरेटर व चर्चित सोशलनेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर ‘कोसी ग्रुप’ के एडमिन (प्रशासक) भी हैं। कोसी केन्द्रित साहित्य के विभिन्न पक्षों को महज एक क्लिक से उपलब्ध करनेवाले देवेश के महत्वपूर्ण ब्लॉगों में ‘कविता कोसी’ http://kavita-kosi.blogspot.com को लॉगिन करते ही कोसी क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक साहित्यिक विरासत से रूबरू हुआ जा सकता है। महत्वपूर्ण पोस्ट की बानगी कुछ इस तरह है - ‘कोसी अंचल में कवि चंदवरदाई की पन्द्रह पीढि़याँ’, ‘कोसी अंचल के शासक साहित्यकार’, कोसी अंचल के राज्याश्रित कवि, सूफी कवि शेख किफायत, भक्त कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस, रीति कवि जयगोविन्द महराज आदि। ‘कोसी कथा धारा’ http://kosikathadhara.blogspot.com पर ‘जनार्दन झा ‘द्विज’ की कहानी परित्यक्ता, बिहार के प्रेमचंद अनुपलाल मंडल और कोसी अंचल के आरंभिक कथाकार शीर्षक से अनेक आलेख उपलब्ध हैं। देवेश का ब्लॉग ‘कोसी काव्य धारा’ http://kosikavyadhara.blogspot.com भी रोचकता से पूर्ण है। यहाँ ‘सिद्ध सरहपा का काव्य’, ‘कोसी अंचल का प्रथम मैथिली कविरू विनयश्री’ एवं ‘चंदवरदयी के वंशज सोनकवि’ जैसे खोजपूर्ण आलेख हैं। इनका ‘कोसी साहित्य’ http://kosi-sahitya.blogspot.com नाम का ब्लॉग पुस्तक समीक्षा को समर्पित है जिसमें कोसी क्षेत्र के साहित्यकारों की पुस्तकें शामिल हैं साथ ही ‘किशोर साहित्य’ http://kishoresahitya.blogspot.com भी लोकप्रिय व चर्चित रहा है। इसी कड़ी में एक ब्लॉग अनीता पंडित का भी है जो ‘संवदिया’ पत्रिका में संपादक मंडल की सदस्या भी हैं, उनके ब्लॉग http://kosikavita.blogspot.com भी कोसी आधारित रचनात्मक कार्यों का प्लेटफार्म है। पेशे से पत्रकार, कवि विनीत उत्पल के ब्लॉग http://vinitutpal.blogspot.in/ पर ‘कोसीनामा’ श्रृंखला से कई आलेख -कोसी की बाढ़ और सामयिक प्रसंगों सहित कोसी कविता, साहित्य व संस्कृति का अद्भुत सामंजस्य दिखता है।
यहाँ अधिकांश ब्लॉगर सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ का इस्तेमाल एग्रीगेटर की तरह कर अपने पोस्ट को लोकप्रिय बनाने में पीछे नही रहते। एक छोटे-से उदाहरण से इसे स्पष्ट किया जा सकता है, जैसे ब्लॉगर ने कोई पोस्ट जारी किया, और उसका लिंक ‘दी राइजिंग बिहार’ से जोड़ा तो एकसाथ उसकी सूचना इस ग्रुप के 65000 (पैंसठ हजार) सदस्यों तक चली गयी। इसे एक और स्केल पर देखें - यदि किसी लिंक को फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ https://www.facebook.com/groups/saharsamitra/ से जोड़ते हैं तो ब्लॉगरों के संदेश बत्तीस सौ से अधिक पठकों तक पहुँच जाते हैं। बस एक क्लिक में! वस्तुतः फेसबुक सदृश्य सोशल नेटवर्किंग साइट अपने यूजरों को ग्लोबल मार्केट मे प्रवेष करने का मौका व हौसला भी देता है। फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ के एडमिन व व्यवस्थापक कुमार रविशंकर का मानना है कि वे इस ‘ई’ चौपाल’ का जमीनी स्तर पर भी सकारात्मक कार्यों में उपयोग करना चाहेंगे।
कोसी क्षेत्र के कम्प्यूटर खटरागियों ने वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को मजबूत करते हुए ब्लागिंग, फेसबुक-ट्विटर आदि से अलग हटकर भी अंतर्जाल पर अपना परचम फहराया है। विश्व प्रसिद्ध ‘कविता कोश’ ( www.kavitakosh.org ) पर भी इन्होंने अपनी जबर्दस्त भागीदारी निभाई है। इस कोश पर सरहपा, लक्ष्मीनाथ परमहंस, जॉन क्रिश्चन, राजकमल चौधरी के साथ ही राकेश रोहित, शांति सुमन, संजय कुमार सिंह, स्मिता झा, हरेराम सिंह, भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’, देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ हरेराम सिंह सहित अभी टटका राजर्षि अरुण व अरुणाभ सौरभ की कविताएं पढी जा सकती है। अरविन्द श्रीवास्तव की पचास से अधिक कविताएं यहाँ उपलब्ध है...।
फिलवक्त कोसी क्षेत्र की रचनात्मकता में वर्चुअल स्पेस का बढ़चढ़ कर उपयोग किया जा रहा है और यहाँ ‘जालकर्मी’ अपने सामाजिक-वैश्विक सरोकारों का जिम्मेवारी पूर्वक निर्वाहन कर रहे हैं। यह
(यह आलेख - कोसी महोत्सव , सहरसा द्वारा जारी स्मारिका से उद्धृत है... )
--अरविन्द श्रीवास्तव,मधेपुरा
संपर्क - कला कुटीर , अशेष मार्ग, मधेपुरा- 852113. बिहार
e.mail- arvindsrivastava39@gmail.com मोबाइल - 09431080862.
संपर्क - कला कुटीर , अशेष मार्ग, मधेपुरा- 852113. बिहार
e.mail- arvindsrivastava39@gmail.com मोबाइल - 09431080862.
इंटरनेट पर कोसी क्षेत्र का रचनात्मक हस्तक्षेप
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 20, 2012
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