वर्तमान समय में मीडिया को पांच भागों में विभक्त किया जा सकता है। सर्वप्रथम प्रिंट, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं चौथा इलेक्ट्रानिक यानी टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटस, फेसबुक, माइक्रोब्लागिंग साइट ट्विटर, ब्लॉग्स, फॉरम, चैट आदि सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही मीडिया अभी ‘न्यू मीडिया’ की शक्ल में कई मठाधीषों की नींद चुरा ली है। परम्परागत मीडियाकर्मी सहित कथित प्रगतिशील और पाषाणी सोच रखने वाले लेखक, रचनाकार, कवि-अलोचक भन्नाए-भन्नाए से दिख रहे हैं। उनकी आँखों की सुरमा में ‘न्यू मीडिया’ ने सेंध मार दिया है। वे इस नई पद्धति के खिलाफ खुल कर आग तो नहीं उगलते लेकिन आग वबूला अवश्य दिखते है। बहरहाल इस मीडिया की ताकत को विकीलीक्स के द्वारा अमरीका जैसे समर्थ सत्ता को हिला कर रख देने तथा अफ्रीका व मध्यपूर्व के देशों में ‘फेसबुकिया क्रांति’ के रूप में भी देखा जा सकता है। अभिव्यक्ति की आजादी का ग्लोबल उदघोष भी इसी नई मीडिया में देखा जा रहा है। निःसंदेह इसे ‘पाँचवें खंभे’ की उपमा भी दी जा सकती है।
महज एक दशक में विश्व फलक पर नई सोच और जिम्मेवारी के साथ स्थापित वैकल्पिक मीडिया, विशेषकर ब्लागिंग जगत पर कोसी इलाके के प्रयोगधर्मी रचनाकारों - लेखक, कवि, रंगकर्मी व पत्रकारों ने वैश्विक जिम्मेवारी के साथ अपनी रचनात्मक भूमिका सुनिश्चित कर दी है। ‘मधेपुरा टाइम्स’ http://www.madhepuratimes.com के प्रधान संपादक रूद्र नारायण यादव व संपादक पंकज भारतीय ने अपनी पत्रकारिता को जनपद स्तरीय रखते हुए मधेपुरा की राजनीति व समसामयिक घटनाओं पर त्वरित व निर्भीक पत्रकारिता के कई उदाहरण रखे हैं। इस बेवसाइट से जुड़े राकेश सिंह का मानना है कि नेट के माध्यम से हम आमजन के अधिक करीब हैं। यहाँ पाठक स्वतंत्र हैं अपने विचार रखने को। उनका कहना है कि यह वेबसाइट बगैर किसी आर्थिक सहयोग के चल रहा है।
कोसी क्षेत्र में इधर ब्लागस्पाट पर ‘सहरसा टाइम्स’ ने अपने डोमेन द्वारा नए यूआरएल http://www.saharsatimes.com में परिणत होकर सहरसा के जनजीवन और सामयिक घटनाओं पर ताबड़तोड़ पोस्ट व विडियो जारी कर नेट पत्रकारिता में सार्थक हस्तक्षेप किया है। संपादक विजय महापात्रा व प्रधान संपादक मुकेश सिंह हैं इस पोर्टल के मोडरेटर चंदन सिंह का कहना है- ‘हमारा मकसद है कि हम उन जरुरतजदा लोगों की आवाज बन सकें जो ना केवल अपने हक से महरूम हैं बल्कि जिनकी फरियाद नौकरशाहों से लेकर हुक्मरानों तक अनसुनी की जाती रही है। हम जज्बाती बनकर नहीं बल्कि सच का सिपहसालार बनकर लोगों के हक की आवाज बुलंद करने का पूरा माद्दा रखते हैं।’ आनलाइन वेब पोर्टल में ‘कोसी लाइव डाट काम’ http://www.koshilive.com की अपनी पहचान है। ‘कोशी लाइव’ की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 2005 में विवेक कुमार द्वारा हुई थी. विवेक सहरसा के एक आईटी प्रोफेसनल हैं। 2008 में बिहार में आयी कोसी की बाढ़, बांध टूटने से जो तांडव मचा उसकी तजा तस्वीर, खबर और विडियो के माध्यम से कोसी लाइव की लोकप्रियता परवान चढ़ी। ‘खबर कोसी’ http://khabarkosi.blogspot.com के नाम से अरविन्द श्रीवास्तव का ब्लाग 2006 ई. में प्रारंभ हुआ कोसी क्षेत्र की खबरों का ‘सांस्कृतिक स्तवक’ के रूप में भी इसे देखा जा सकता है। इलाके की साहित्यिक व सांस्कृतिक खबरों को प्रमुखता से स्थान देने वाले इस ब्लॉग पर विभिन्न समाचार पत्रों से प्राप्त अद्यतन समाचार भी उपलब्ध होते हैं।
कोसी की साहित्यिक व सांस्कृतिक परंपरा एवं धरोहर को अंतर्जाल पर सहेजने में जुटे हैं युवा ! इसमें संदेह नहीं कि अपनी मिट्टी की सुगंध को क्षेत्र से रोजी रोजगार की तलाश में बाहर गये हमारे युवा भूलते नहीं हैं वे अंतर्जाल पर अपनी उपस्थिति व जन्मभूमि के प्रति लगाव का इजहार ब्लॉग के माध्यम से करते हैं। डा. देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादेमी में उपसंपादक के पद पर कार्यरत हैं। कोसी क्षेत्र को समर्पित कई ब्लाग के मोडरेटर व चर्चित सोशलनेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर ‘कोसी ग्रुप’ के एडमिन (प्रशासक) भी हैं। कोसी केन्द्रित साहित्य के विभिन्न पक्षों को महज एक क्लिक से उपलब्ध करनेवाले देवेश के महत्वपूर्ण ब्लॉगों में ‘कविता कोसी’ http://kavita-kosi.blogspot.com को लॉगिन करते ही कोसी क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक साहित्यिक विरासत से रूबरू हुआ जा सकता है। महत्वपूर्ण पोस्ट की बानगी कुछ इस तरह है - ‘कोसी अंचल में कवि चंदवरदाई की पन्द्रह पीढि़याँ’, ‘कोसी अंचल के शासक साहित्यकार’, कोसी अंचल के राज्याश्रित कवि, सूफी कवि शेख किफायत, भक्त कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस, रीति कवि जयगोविन्द महराज आदि। ‘कोसी कथा धारा’ http://kosikathadhara.blogspot.com पर ‘जनार्दन झा ‘द्विज’ की कहानी परित्यक्ता, बिहार के प्रेमचंद अनुपलाल मंडल और कोसी अंचल के आरंभिक कथाकार शीर्षक से अनेक आलेख उपलब्ध हैं। देवेश का ब्लॉग ‘कोसी काव्य धारा’ http://kosikavyadhara.blogspot.com भी रोचकता से पूर्ण है। यहाँ ‘सिद्ध सरहपा का काव्य’, ‘कोसी अंचल का प्रथम मैथिली कविरू विनयश्री’ एवं ‘चंदवरदयी के वंशज सोनकवि’ जैसे खोजपूर्ण आलेख हैं। इनका ‘कोसी साहित्य’ http://kosi-sahitya.blogspot.com नाम का ब्लॉग पुस्तक समीक्षा को समर्पित है जिसमें कोसी क्षेत्र के साहित्यकारों की पुस्तकें शामिल हैं साथ ही ‘किशोर साहित्य’ http://kishoresahitya.blogspot.com भी लोकप्रिय व चर्चित रहा है। इसी कड़ी में एक ब्लॉग अनीता पंडित का भी है जो ‘संवदिया’ पत्रिका में संपादक मंडल की सदस्या भी हैं, उनके ब्लॉग http://kosikavita.blogspot.com भी कोसी आधारित रचनात्मक कार्यों का प्लेटफार्म है। पेशे से पत्रकार, कवि विनीत उत्पल के ब्लॉग http://vinitutpal.blogspot.in/ पर ‘कोसीनामा’ श्रृंखला से कई आलेख -कोसी की बाढ़ और सामयिक प्रसंगों सहित कोसी कविता, साहित्य व संस्कृति का अद्भुत सामंजस्य दिखता है।
कोसी क्षेत्र के रचनाकारों ने अपनी सृजनशीलता को आभासी जगत में प्रस्तुत कर भूमंडलीय गति में अपने कदम को पुरजोर ताकत से रखा है। ‘जनशब्द’ http://janshabd.blogspot.com क्षेत्र का पहला ब्लॉग है, जिसकी धमक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर महसूस की जाती है। पांच हजार से अधिक विजिटर्स व पचास से अधिक देशों में पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग के 150 से अधिक पोस्ट साहित्यिक व ब्लॉगिंग जगत के लिए बेमिशाल उदाहरण हैं। कोसी अंचल के कई लेखकों के अपने अपने ब्लॉग हैं, मसलन् सतीश वर्मा का ब्लॉग ‘संकल्प’ और ‘बस्ती’, कुमार सौरभ का ‘मैथिली मंडन’, जितमोहन झा ‘जितू’ का ‘मैथिली और मिथिला’, संजय कुमार कुंदन का ‘होता है शबो-रोज’, रणविजय सिंह सत्यकेतु का ‘मुखातिब’, विभुराज चैधरी का कविता केन्द्रित ‘भोर’, पत्रकारिता कर्म से जुड़े सुपौल के, सम्प्रति रांची में कार्यरत रंजीत का ब्लॉग ‘दो पाटन के बीच’, विजय द्विवेदी का ‘खुदकुशी’, ओमप्रकाश भारती का ‘कोसी-मित्र’, कवि कृष्णमोहन झा का ‘आवाह्न’, राकेश रोहित का ‘आधुनिक हिन्दी साहित्य’, गिरीन्द्रनाथ झा का ‘अनुभव’, शशि के. झा का ‘डेमाक्रेसीकनेक्ट’ सुरज यादव का ‘सुरज यादव ओपेनियन’, हेमंत सरकार का विविध रंगों से युक्त अपना ब्लाग, अनिल कुमार का ‘इप्टा’ और कविता केन्द्रित ‘अनिल अवतार विजन्स’ नाम का ब्लॉग, हिमांशु एस. झा का ‘हिमांशुआंश’, गिरजानन्द सिंह का ‘मिथिला और मैथिली’ आदि। कोसी विषयक ये ब्लॉग हिन्दी, मैथिली और आंग्ल में लिखे जा रहे हैं। ‘पाल ले एक रोग नांदा...’ http://gautamrajrishi.blogspot.com सहरसा के गौतम राजऋषी का चर्चित ब्लॉग है। इनके हालिया पोस्ट की बानगी दृष्टव्य है- एक रतजगे की तासीर और सिलवटों में उलझे चंद सवाल..., चंद अटपटी ख्वाहिशें डूबते-उतरते ख्वाबों की..., एक स्कौर्पियो, एक लोगान और राष्ट्रीय-राजमार्ग पर एक प्रेम-कविता का ड्राफ्ट..। मधेपुरा की साक्षी का ‘साक्षी की कलम से’ http://sakshikikalamse.blogspot.com अपना ब्लॉग है। जहाँ भारतीय विवाह में प्रतीक चिन्हों को दर्शाने वाले कई पोस्ट उपलब्ध हैं मसलन्‘ भारतीय विवाह और चूडि़याँ’, अंगूठी का रिश्तों में महत्व, नथ और हिन्दू विवाह, विवाह के प्रकार जैसे रूचिकर विषयों का समागम है यहाँ।
यहाँ अधिकांश ब्लॉगर सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ का इस्तेमाल एग्रीगेटर की तरह कर अपने पोस्ट को लोकप्रिय बनाने में पीछे नही रहते। एक छोटे-से उदाहरण से इसे स्पष्ट किया जा सकता है, जैसे ब्लॉगर ने कोई पोस्ट जारी किया, और उसका लिंक ‘दी राइजिंग बिहार’ से जोड़ा तो एकसाथ उसकी सूचना इस ग्रुप के 65000 (पैंसठ हजार) सदस्यों तक चली गयी। इसे एक और स्केल पर देखें - यदि किसी लिंक को फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ https://www.facebook.com/groups/saharsamitra/ से जोड़ते हैं तो ब्लॉगरों के संदेश बत्तीस सौ से अधिक पठकों तक पहुँच जाते हैं। बस एक क्लिक में! वस्तुतः फेसबुक सदृश्य सोशल नेटवर्किंग साइट अपने यूजरों को ग्लोबल मार्केट मे प्रवेष करने का मौका व हौसला भी देता है। फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ के एडमिन व व्यवस्थापक कुमार रविशंकर का मानना है कि वे इस ‘ई’ चौपाल’ का जमीनी स्तर पर भी सकारात्मक कार्यों में उपयोग करना चाहेंगे।
कोसी क्षेत्र के कम्प्यूटर खटरागियों ने वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को मजबूत करते हुए ब्लागिंग, फेसबुक-ट्विटर आदि से अलग हटकर भी अंतर्जाल पर अपना परचम फहराया है। विश्व प्रसिद्ध ‘कविता कोश’ ( www.kavitakosh.org ) पर भी इन्होंने अपनी जबर्दस्त भागीदारी निभाई है। इस कोश पर सरहपा, लक्ष्मीनाथ परमहंस, जॉन क्रिश्चन, राजकमल चौधरी के साथ ही राकेश रोहित, शांति सुमन, संजय कुमार सिंह, स्मिता झा, हरेराम सिंह, भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’, देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ हरेराम सिंह सहित अभी टटका राजर्षि अरुण व अरुणाभ सौरभ की कविताएं पढी जा सकती है। अरविन्द श्रीवास्तव की पचास से अधिक कविताएं यहाँ उपलब्ध है...।
फिलवक्त कोसी क्षेत्र की रचनात्मकता में वर्चुअल स्पेस का बढ़चढ़ कर उपयोग किया जा रहा है और यहाँ ‘जालकर्मी’ अपने सामाजिक-वैश्विक सरोकारों का जिम्मेवारी पूर्वक निर्वाहन कर रहे हैं। यह सुखद संकेत है कि इनके उत्कृष्ट कार्यों का मूल्यांकन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी किया जा रहा है। उदाहरणार्थ - ‘एशियन स्कूल आफ साइबर ला , पुणे द्वारा मधेपुरा के राकेश सिंह को वर्ष 2009 के अगस्त माह का ‘स्टूडेंट ऑफ दी मंथ’ चुना गया। हिन्दी विकिपीडिया में सम्मलित मधेपुरा के अरविन्द श्रीवास्तव को गत वर्ष 2011 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ एवं वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने नई दिल्ली में ‘ब्लाग प्रतिभा सम्मान’ से सम्मानित किया था। ऐसी सुखद खबरें कोसी क्षेत्र से आगे भी मिलते रहने की उम्मीद की जा सकती है... बिहार जो बदल रहा है! (लेखक मूलतः कवि हैं।)
महज एक दशक में विश्व फलक पर नई सोच और जिम्मेवारी के साथ स्थापित वैकल्पिक मीडिया, विशेषकर ब्लागिंग जगत पर कोसी इलाके के प्रयोगधर्मी रचनाकारों - लेखक, कवि, रंगकर्मी व पत्रकारों ने वैश्विक जिम्मेवारी के साथ अपनी रचनात्मक भूमिका सुनिश्चित कर दी है। ‘मधेपुरा टाइम्स’ http://www.madhepuratimes.com के प्रधान संपादक रूद्र नारायण यादव व संपादक पंकज भारतीय ने अपनी पत्रकारिता को जनपद स्तरीय रखते हुए मधेपुरा की राजनीति व समसामयिक घटनाओं पर त्वरित व निर्भीक पत्रकारिता के कई उदाहरण रखे हैं। इस बेवसाइट से जुड़े राकेश सिंह का मानना है कि नेट के माध्यम से हम आमजन के अधिक करीब हैं। यहाँ पाठक स्वतंत्र हैं अपने विचार रखने को। उनका कहना है कि यह वेबसाइट बगैर किसी आर्थिक सहयोग के चल रहा है।
कोसी क्षेत्र में इधर ब्लागस्पाट पर ‘सहरसा टाइम्स’ ने अपने डोमेन द्वारा नए यूआरएल http://www.saharsatimes.com में परिणत होकर सहरसा के जनजीवन और सामयिक घटनाओं पर ताबड़तोड़ पोस्ट व विडियो जारी कर नेट पत्रकारिता में सार्थक हस्तक्षेप किया है। संपादक विजय महापात्रा व प्रधान संपादक मुकेश सिंह हैं इस पोर्टल के मोडरेटर चंदन सिंह का कहना है- ‘हमारा मकसद है कि हम उन जरुरतजदा लोगों की आवाज बन सकें जो ना केवल अपने हक से महरूम हैं बल्कि जिनकी फरियाद नौकरशाहों से लेकर हुक्मरानों तक अनसुनी की जाती रही है। हम जज्बाती बनकर नहीं बल्कि सच का सिपहसालार बनकर लोगों के हक की आवाज बुलंद करने का पूरा माद्दा रखते हैं।’ आनलाइन वेब पोर्टल में ‘कोसी लाइव डाट काम’ http://www.koshilive.com की अपनी पहचान है। ‘कोशी लाइव’ की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 2005 में विवेक कुमार द्वारा हुई थी. विवेक सहरसा के एक आईटी प्रोफेसनल हैं। 2008 में बिहार में आयी कोसी की बाढ़, बांध टूटने से जो तांडव मचा उसकी तजा तस्वीर, खबर और विडियो के माध्यम से कोसी लाइव की लोकप्रियता परवान चढ़ी। ‘खबर कोसी’ http://khabarkosi.blogspot.com के नाम से अरविन्द श्रीवास्तव का ब्लाग 2006 ई. में प्रारंभ हुआ कोसी क्षेत्र की खबरों का ‘सांस्कृतिक स्तवक’ के रूप में भी इसे देखा जा सकता है। इलाके की साहित्यिक व सांस्कृतिक खबरों को प्रमुखता से स्थान देने वाले इस ब्लॉग पर विभिन्न समाचार पत्रों से प्राप्त अद्यतन समाचार भी उपलब्ध होते हैं।
कोसी की साहित्यिक व सांस्कृतिक परंपरा एवं धरोहर को अंतर्जाल पर सहेजने में जुटे हैं युवा ! इसमें संदेह नहीं कि अपनी मिट्टी की सुगंध को क्षेत्र से रोजी रोजगार की तलाश में बाहर गये हमारे युवा भूलते नहीं हैं वे अंतर्जाल पर अपनी उपस्थिति व जन्मभूमि के प्रति लगाव का इजहार ब्लॉग के माध्यम से करते हैं। डा. देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादेमी में उपसंपादक के पद पर कार्यरत हैं। कोसी क्षेत्र को समर्पित कई ब्लाग के मोडरेटर व चर्चित सोशलनेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर ‘कोसी ग्रुप’ के एडमिन (प्रशासक) भी हैं। कोसी केन्द्रित साहित्य के विभिन्न पक्षों को महज एक क्लिक से उपलब्ध करनेवाले देवेश के महत्वपूर्ण ब्लॉगों में ‘कविता कोसी’ http://kavita-kosi.blogspot.com को लॉगिन करते ही कोसी क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक साहित्यिक विरासत से रूबरू हुआ जा सकता है। महत्वपूर्ण पोस्ट की बानगी कुछ इस तरह है - ‘कोसी अंचल में कवि चंदवरदाई की पन्द्रह पीढि़याँ’, ‘कोसी अंचल के शासक साहित्यकार’, कोसी अंचल के राज्याश्रित कवि, सूफी कवि शेख किफायत, भक्त कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस, रीति कवि जयगोविन्द महराज आदि। ‘कोसी कथा धारा’ http://kosikathadhara.blogspot.com पर ‘जनार्दन झा ‘द्विज’ की कहानी परित्यक्ता, बिहार के प्रेमचंद अनुपलाल मंडल और कोसी अंचल के आरंभिक कथाकार शीर्षक से अनेक आलेख उपलब्ध हैं। देवेश का ब्लॉग ‘कोसी काव्य धारा’ http://kosikavyadhara.blogspot.com भी रोचकता से पूर्ण है। यहाँ ‘सिद्ध सरहपा का काव्य’, ‘कोसी अंचल का प्रथम मैथिली कविरू विनयश्री’ एवं ‘चंदवरदयी के वंशज सोनकवि’ जैसे खोजपूर्ण आलेख हैं। इनका ‘कोसी साहित्य’ http://kosi-sahitya.blogspot.com नाम का ब्लॉग पुस्तक समीक्षा को समर्पित है जिसमें कोसी क्षेत्र के साहित्यकारों की पुस्तकें शामिल हैं साथ ही ‘किशोर साहित्य’ http://kishoresahitya.blogspot.com भी लोकप्रिय व चर्चित रहा है। इसी कड़ी में एक ब्लॉग अनीता पंडित का भी है जो ‘संवदिया’ पत्रिका में संपादक मंडल की सदस्या भी हैं, उनके ब्लॉग http://kosikavita.blogspot.com भी कोसी आधारित रचनात्मक कार्यों का प्लेटफार्म है। पेशे से पत्रकार, कवि विनीत उत्पल के ब्लॉग http://vinitutpal.blogspot.in/ पर ‘कोसीनामा’ श्रृंखला से कई आलेख -कोसी की बाढ़ और सामयिक प्रसंगों सहित कोसी कविता, साहित्य व संस्कृति का अद्भुत सामंजस्य दिखता है।
कोसी क्षेत्र के रचनाकारों ने अपनी सृजनशीलता को आभासी जगत में प्रस्तुत कर भूमंडलीय गति में अपने कदम को पुरजोर ताकत से रखा है। ‘जनशब्द’ http://janshabd.blogspot.com क्षेत्र का पहला ब्लॉग है, जिसकी धमक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर महसूस की जाती है। पांच हजार से अधिक विजिटर्स व पचास से अधिक देशों में पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग के 150 से अधिक पोस्ट साहित्यिक व ब्लॉगिंग जगत के लिए बेमिशाल उदाहरण हैं। कोसी अंचल के कई लेखकों के अपने अपने ब्लॉग हैं, मसलन् सतीश वर्मा का ब्लॉग ‘संकल्प’ और ‘बस्ती’, कुमार सौरभ का ‘मैथिली मंडन’, जितमोहन झा ‘जितू’ का ‘मैथिली और मिथिला’, संजय कुमार कुंदन का ‘होता है शबो-रोज’, रणविजय सिंह सत्यकेतु का ‘मुखातिब’, विभुराज चैधरी का कविता केन्द्रित ‘भोर’, पत्रकारिता कर्म से जुड़े सुपौल के, सम्प्रति रांची में कार्यरत रंजीत का ब्लॉग ‘दो पाटन के बीच’, विजय द्विवेदी का ‘खुदकुशी’, ओमप्रकाश भारती का ‘कोसी-मित्र’, कवि कृष्णमोहन झा का ‘आवाह्न’, राकेश रोहित का ‘आधुनिक हिन्दी साहित्य’, गिरीन्द्रनाथ झा का ‘अनुभव’, शशि के. झा का ‘डेमाक्रेसीकनेक्ट’ सुरज यादव का ‘सुरज यादव ओपेनियन’, हेमंत सरकार का विविध रंगों से युक्त अपना ब्लाग, अनिल कुमार का ‘इप्टा’ और कविता केन्द्रित ‘अनिल अवतार विजन्स’ नाम का ब्लॉग, हिमांशु एस. झा का ‘हिमांशुआंश’, गिरजानन्द सिंह का ‘मिथिला और मैथिली’ आदि। कोसी विषयक ये ब्लॉग हिन्दी, मैथिली और आंग्ल में लिखे जा रहे हैं। ‘पाल ले एक रोग नांदा...’ http://gautamrajrishi.blogspot.com सहरसा के गौतम राजऋषी का चर्चित ब्लॉग है। इनके हालिया पोस्ट की बानगी दृष्टव्य है- एक रतजगे की तासीर और सिलवटों में उलझे चंद सवाल..., चंद अटपटी ख्वाहिशें डूबते-उतरते ख्वाबों की..., एक स्कौर्पियो, एक लोगान और राष्ट्रीय-राजमार्ग पर एक प्रेम-कविता का ड्राफ्ट..। मधेपुरा की साक्षी का ‘साक्षी की कलम से’ http://sakshikikalamse.blogspot.com अपना ब्लॉग है। जहाँ भारतीय विवाह में प्रतीक चिन्हों को दर्शाने वाले कई पोस्ट उपलब्ध हैं मसलन्‘ भारतीय विवाह और चूडि़याँ’, अंगूठी का रिश्तों में महत्व, नथ और हिन्दू विवाह, विवाह के प्रकार जैसे रूचिकर विषयों का समागम है यहाँ।
यहाँ अधिकांश ब्लॉगर सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ का इस्तेमाल एग्रीगेटर की तरह कर अपने पोस्ट को लोकप्रिय बनाने में पीछे नही रहते। एक छोटे-से उदाहरण से इसे स्पष्ट किया जा सकता है, जैसे ब्लॉगर ने कोई पोस्ट जारी किया, और उसका लिंक ‘दी राइजिंग बिहार’ से जोड़ा तो एकसाथ उसकी सूचना इस ग्रुप के 65000 (पैंसठ हजार) सदस्यों तक चली गयी। इसे एक और स्केल पर देखें - यदि किसी लिंक को फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ https://www.facebook.com/groups/saharsamitra/ से जोड़ते हैं तो ब्लॉगरों के संदेश बत्तीस सौ से अधिक पठकों तक पहुँच जाते हैं। बस एक क्लिक में! वस्तुतः फेसबुक सदृश्य सोशल नेटवर्किंग साइट अपने यूजरों को ग्लोबल मार्केट मे प्रवेष करने का मौका व हौसला भी देता है। फेसबुक पर ‘सहरसा ग्रुप’ के एडमिन व व्यवस्थापक कुमार रविशंकर का मानना है कि वे इस ‘ई’ चौपाल’ का जमीनी स्तर पर भी सकारात्मक कार्यों में उपयोग करना चाहेंगे।
कोसी क्षेत्र के कम्प्यूटर खटरागियों ने वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को मजबूत करते हुए ब्लागिंग, फेसबुक-ट्विटर आदि से अलग हटकर भी अंतर्जाल पर अपना परचम फहराया है। विश्व प्रसिद्ध ‘कविता कोश’ ( www.kavitakosh.org ) पर भी इन्होंने अपनी जबर्दस्त भागीदारी निभाई है। इस कोश पर सरहपा, लक्ष्मीनाथ परमहंस, जॉन क्रिश्चन, राजकमल चौधरी के साथ ही राकेश रोहित, शांति सुमन, संजय कुमार सिंह, स्मिता झा, हरेराम सिंह, भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’, देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ हरेराम सिंह सहित अभी टटका राजर्षि अरुण व अरुणाभ सौरभ की कविताएं पढी जा सकती है। अरविन्द श्रीवास्तव की पचास से अधिक कविताएं यहाँ उपलब्ध है...।
फिलवक्त कोसी क्षेत्र की रचनात्मकता में वर्चुअल स्पेस का बढ़चढ़ कर उपयोग किया जा रहा है और यहाँ ‘जालकर्मी’ अपने सामाजिक-वैश्विक सरोकारों का जिम्मेवारी पूर्वक निर्वाहन कर रहे हैं। यह सुखद संकेत है कि इनके उत्कृष्ट कार्यों का मूल्यांकन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी किया जा रहा है। उदाहरणार्थ - ‘एशियन स्कूल आफ साइबर ला , पुणे द्वारा मधेपुरा के राकेश सिंह को वर्ष 2009 के अगस्त माह का ‘स्टूडेंट ऑफ दी मंथ’ चुना गया। हिन्दी विकिपीडिया में सम्मलित मधेपुरा के अरविन्द श्रीवास्तव को गत वर्ष 2011 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ एवं वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने नई दिल्ली में ‘ब्लाग प्रतिभा सम्मान’ से सम्मानित किया था। ऐसी सुखद खबरें कोसी क्षेत्र से आगे भी मिलते रहने की उम्मीद की जा सकती है... बिहार जो बदल रहा है! (लेखक मूलतः कवि हैं।)
(यह आलेख - कोसी महोत्सव , सहरसा द्वारा जारी स्मारिका से उद्धृत है... )
--अरविन्द श्रीवास्तव,मधेपुरा
संपर्क - कला कुटीर , अशेष मार्ग, मधेपुरा- 852113. बिहार
e.mail- arvindsrivastava39@gmail.com मोबाइल - 09431080862.
संपर्क - कला कुटीर , अशेष मार्ग, मधेपुरा- 852113. बिहार
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इंटरनेट पर कोसी क्षेत्र का रचनात्मक हस्तक्षेप
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 20, 2012
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