वि० सं०/१५ जनवरी २०१२
जिला मुख्यालय के जयपालपट्टी में दो लोगों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में दर्जनों परिवार सड़क पर रहने को विवश हो गए हैं.छोटी सी जमीं को अतिक्रमण से मुक्त कराने के प्रयास में दाखिल मुक़दमे में अतिक्रमण हटाने का आदेश हो गया तो सबों के पास अब हाथ मलने के अलावे कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा.
सिकंदर यादव और देवो यादव की लड़ाई में पचासों साल से बने कई पक्के के घर भी अब उजड चुके हैं.कई ऐसे परिवार जिन्हें रहने को कोई जगह नहीं थी,ने सड़क के किनारे घर बना लिया था और यहीं रहते उनकी लंबी जिंदगी आराम से
कट रही थी.जयपालपट्टी का ये सड़क जो बिजेन्द्र यादव के घर के बगल से टेलीफोन एक्सचेंज वाली सड़क में मिल जाता है,कई वर्षों से इसी अतिक्रमण के कारण संकडा था और लोग यहाँ बीस फीट चौड़ी सड़क की जरूरत भी महसूस नहीं करते थे.यहीं रह रहे सिकंदर यादव और देवो यादव ने जब एक-दूसरे की जमीन का अतिक्रमण का मामला न्यायालय तक पहुँचाया तो लोगों ने आपसी सहमति से मामला सुलझाने की अपील की.यहाँ तक कि न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रशासन ने भी आपसी सहमति बना लेने को कहा ताकि कुछ रास्ता निकले और दर्जनों गरीब परिवार सड़क पर न आ जाएँ.पर मूंछ की लड़ाई में शायद ऐसा ही होता है.प्रशासन ने अतिक्रमण हटा लेने को कह दिया.घर फूटे, गंवार लुटे की तर्ज पर दर्जनों घर अब टूट चुके हैं.![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhthju1LSoG6H_bHqhkxXYcJa5Mw8pcsTmd5GZOVB0CB2Abx9b4PmV8e7enCR6K2SV18g6o2UsJVB2ubkCQ4gQ891g1_6atRojEitMbr2XrECOmjl2KOSXNlMmrMXKIEDHGd6IqXNT5C22i/s320/Encroachment-Madhepura.png)
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सत्तर साल की गायत्री देवी ने यहाँ अपना पूरा परिवार संवारा था,आज जब घर टूटा तो वह उसी टूटे जगह यानि सड़क पर ही बोरा बिछाकर दिन-रात पड़ी हुई है.सदमे में वह पत्रकार तक को दुत्कार देती है.कहती है यहीं से लाश उठेगी.प्रशासन ने कहीं बसने के इंतजाम नहीं किये.रीता देवी भी दो बच्चों के साथ बिलखती है.ऐसे दर्जनों परिवार से जिम्मेदार लोगों के लिए बददुआ निकल रही है.पर सच यही है कि उनका बरसों का आशियाना एक झटके में ही उजड़ चुका है.
वर्चस्व की लड़ाई में दो के कारण दर्जनों परिवार उजड़े
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 15, 2012
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