आहुति......उल्लास मुखर्जी

तुम मुझसे मतलब
रखो, न रखो
तुम्हारी खुशबू ही काफी है,
आती रहती हो सपनों में,
एक झलक ही काफी है.
............
तुम मुझसे प्यार
करो, न करो
मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
तुमसे प्यार करके मैं

बहुत खुश रहता हूँ.
............
जीने के लिए तन्हा सफर में
यही खुशी काफी है.
आती रहती हो सपनों में
एक झलक ही काफी है.


--उल्लास मुखर्जी,सदर अस्पताल मधेपुरा
आहुति......उल्लास मुखर्जी आहुति......उल्लास मुखर्जी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 29, 2012 Rating: 5

5 comments:

  1. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  2. चाँद को क्या मालूम कि चाहता है उसे कोई चकोर
    वो बेचारा दूर से देखे करे न कोई शोर

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  3. bahoot khoob , aur ek kabita de , please

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  4. bahoot khoob. aur ek kabita de please,

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