रखो, न रखो
तुम्हारी खुशबू ही काफी है,
आती रहती हो सपनों में,
एक झलक ही काफी है.
............
तुम मुझसे प्यार
करो, न करो
मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
तुमसे प्यार करके मैं
............
जीने के लिए तन्हा सफर में
यही खुशी काफी है.
आती रहती हो सपनों में
--उल्लास मुखर्जी,सदर अस्पताल मधेपुरा
आहुति......उल्लास मुखर्जी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 29, 2012
Rating:
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteचाँद को क्या मालूम कि चाहता है उसे कोई चकोर
ReplyDeleteवो बेचारा दूर से देखे करे न कोई शोर
bahoot khoob , aur ek kabita de , please
ReplyDeletebahoot khoob. aur ek kabita de please,
ReplyDeletebahut hi khoobsurat rachna .....
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