मधेपुरा में पुलिस की करतूत:लाश को भी लगाकर रखते हैं हथकड़ी

 रूद्र ना० यादव/०५ जनवरी २०११
मधेपुरा में पुलिस की संवेदनहीनता का ये एक बड़ा उदहारण हो सकता है.कुलानन्द मंडल की मौत जेल हिरासत में तो हो ही गयी,पर शायद पुलिस को इस बात का भय सता रहा था कि कहीं कुलानन्द मरने के बाद भी न भाग जाय.वर्ना लाश को हथकड़ी लगाकर रखने का कोई मतलब नहीं था.
   कुलानन्द मुरलीगंज के सिंगियोन प्रखंड के धरहरा गाँव का रहने वाला था.भतीजा नवीन कुमार जब गाँव कि ही एक लड़की को भगा ले गया तो लड़की के परिजनों ने नवीन पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था.कुलानन्द की पत्नी सीता देवी बताती है कि कुलानन्द की गलती सिर्फ इतनी ही थी कि उसने फोन पर नवीन को लौट आने की सलाह दी थी.आरोप है कि लड़की के परिजनों ने पुलिस को मिलाकर नवीन के मोबाइल का प्रिंट आउट निकलवाया था जिसमे नवीन के कुलानन्द से बात होने के संकेत थे.पुलिस ने कुलानन्द को पकड़कर बुरी तरह मारा था और अपहरण के मामले में जेल भेज दिया.करीब एक महीने से ज्यादा से कुलानन्द जेल में था और उसका अस्पताल में इलाज भी चल रहा था.पुलिसिया मार के निशान उसके शरीर पर मरने के बाद भी मौजूद थे.सीता देवी कहती है कि पुलिस की मार से कुलानन्द को इतनी गहरी चोट थी कि आखिर उसने दम तोड़ दिया.हालांकि डॉक्टर की रिपोर्ट में मरने का कारण खून की कमी,जौंडिस व हार्ट अटैक बताया गया है.
   पुलिस की संवेदनहीनता तो देखिये कि कुलानन्द की मौत के बाद भी पुलिस उसके हाथ में हथकड़ी लगाये रही.जबकि हकीकत यह है कि पैसे खाकर मधेपुरा में पुलिस बड़े अपराधियों के भी हथकड़ी को खोल कर रखती है जबकि कुलानन्द कोई पेशेवर अपराधी भी नहीं था.
  (पुलिस की संवेदनहीनता के इस मामले को मधेपुरा टाइम्स मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा रही है.)
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