मुरलीगंज से संजय कुमार/०५ दिसंबर २०११
कोसी की भयानक त्रासदी को लगभग साढ़े तीन वर्ष पूरा होने को है.बरसात के मौसम में जहाँ एक ओर कोसी के पूर्वी तटबंध पर बढते पानी के दवाब ने लोगों को भयभीत और आशंकित किया वहीं दूसरी ओर हो रही वर्षा ने सभी सरकारी विकास के दावों की पोल खोल दी और लोगों का जीना दूभर हो गया.
पुनर्वास की तमाम योजनाओं में जटिल प्रक्रियाओं, सरकारी उदासीनता एवं सुस्ती से भ्रष्टाचार का रास्ता खुल गया है.सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल दो लाख छत्तीस हजार छ: सौ बत्तीस घर ध्वस्त हुए थे.लेकिन १८ मई २०११ तक मात्र २५८ मकान बने हैं तथा २१६४ मकान अधूरा बनकर पड़ा है.यह तो केवल एक उदाहरण है.क्षतिग्रत घरों का मुआवजा हो या फसल क्षति का, खेतों से बालू हटाने का मुद्दा हो या उनके सीमांकन का, आम आदमी और किसानों की कठिनाईयां बढ़ी हैं.आज भी अनेक गाँव का संपर्क रोड और पुल-पुलिया से टूटा हुआ है.हलकी बारिस से ही लोगों का जीना दूभर हो जाता है.स्कूल और अस्पतालों की बदतर स्थिति आज भी सबके सामने है.लाखों लोग जो अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे, उनके लिए नयी रोजगार की योजनाएं शुरू करना तो दूर, पहले से चल रही मंरेगा एवं अन्य आजीविका से सम्बंधित योजनाएं भी भ्रष्टाचार के चलते उन तक नहीं पहुँच पा रही है.
कोसी त्रासदी के बाद ०९ दिसंबर २००८ को राज्य सरकार ने “कोसी बाँध कटान न्यायिक जांच आयोग” का गठन किया था.इसे एक साल के अंदर रिपोर्ट देनी थी.अब तीन वर्ष से अधिक समय बीत चुका है.करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं,लेकिन अब तक आयोग ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा का एक भी जन सुनवाई नहीं की है.आयोग की शर्तों एवं जांच बिंदुओं कोप इस तरह निर्धारित किया गया कि उसमे वर्तमान को बचाने का पहले से ही पक्का इंतजाम हो.सच्चाई यह है कि कुसहा टूट के बाद आज तक एक भी पदाधिकारी, इंजीनियर और ठेकेदार पर कार्यवाही नहीं हुई.तब के सिंचाई मंत्री आज भी नीतीश के चहेते बने हुए हैं.समय बीतने के साथ ही कोसी पुनर्वास को आम लोग भूलने लगे हैं.जनदवाब के अभाव में यह मुद्दा गौण हो गया है और सरकार इससे जल्दी पल्ला झाड़ लेना चाहती है.ऐसी परिस्थिति में सभी सामजिक संगठनों,कार्यकर्ताओं,प्रबुद्ध नागरिकों,विभिन्न दलों के ईमानदार नेताओं व् कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि पुनर्वास योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करें.सरकार के असंवेदनशील रवैये का पर्दाफ़ाश करें तथा बाढ़ समस्या के दीर्घकालीन समाधान एवं जनपक्षीय पुनर्वास नीति के लिए पहल करें.
इस पहल को संगठित करने की दृष्टि से एक जनसंवाद यात्रा का आयोजन किया जा रहा है.जो कोसी विकास संघर्ष समिति एवं कोसी नवनिर्माण मंच, संबद्ध जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय के संयुक्त तत्वाधान में आगामी ०७ दिसंबर से १० दिसंबर २०११ तक बीरपुर(सुपौल) से बिहारीगंज(मधेपुरा) तक “कोसी जनसंवाद यात्रा” निकाली जा रही है.यह यात्रा बीरपुर से बादशाह चौक, बाबुआन, निजाम चौक, बलुहा बाजार, सुभान चौक, क्वाटर चौक, प्रताप गंज,जदिया,कुमारखंड, मुरलीगंज होते हुए बिहारीगंज तक जायेगी.यात्रा में विभिन्न जगहों पर आमजन से संवाद किया जाएगा.इस यात्रा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाभुकों की सूची सार्वजनिक स्थानों पर लिखवाना व चिपकाना, उसमे शामिल दोषियों को सजा दिलाना,भ्रष्टाचार व प्रशासनिक शिथिलता के चलते छूटे पात्र लाभुकों को विशेष अभियान चलाकर लाभ दिलाना, बाढ़ के दीर्घकालीन समाधान के लिए जनभागीदारी निर्णायक रूप से शामिल कराना, कोसी कटान न्यायिक जांच आयोग द्वारा जांच में हो रही देरी पर जनदवाब बनाना एवं दोषियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सजा दिलाने की मांग आदि शामिल है.
बाढ़ पुनर्वास में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोसी जन संवाद यात्रा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 05, 2011
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