नहीं कहना चाहता मैं
अलविदा दिल से।
तुम्हे नहीं कर सकता
कभी भी जुदा दिल से।
बहुत कुछ खोया है
तुम्हारे साथ चलकर,
मगर उससे भी कहीं अधिक
पाया उसका क्या।
कुछ रिश्ते यूंही बिखर गए
खुशबु की तरह,
मगर कितने ही गहरे
सम्बन्ध बने उसका क्या।
हे नववर्ष मुझे
आपके स्वागत से ऐतराज नहीं।
मगर पूर्व प्रेमी को
दिल में रखने से लाज नहीं।
मन व्याकुल बस
यह सोच कर होता है।
किसी के आने से दिल
क्यों किसी को खोता है।
तुम रहो खड़े बस द्वार पे ही,
स्वागत का दीप जलाता हूँ.
विदा की अंतिम बेला में,
मैं पिया से मिलकर आता हूँ.
अलविदा दिल से।
तुम्हे नहीं कर सकता
कभी भी जुदा दिल से।
बहुत कुछ खोया है
तुम्हारे साथ चलकर,
मगर उससे भी कहीं अधिक
पाया उसका क्या।
कुछ रिश्ते यूंही बिखर गए
खुशबु की तरह,
मगर कितने ही गहरे
सम्बन्ध बने उसका क्या।
हे नववर्ष मुझे
आपके स्वागत से ऐतराज नहीं।
मगर पूर्व प्रेमी को
दिल में रखने से लाज नहीं।
मन व्याकुल बस
यह सोच कर होता है।
किसी के आने से दिल
क्यों किसी को खोता है।
तुम रहो खड़े बस द्वार पे ही,
स्वागत का दीप जलाता हूँ.
विदा की अंतिम बेला में,
मैं पिया से मिलकर आता हूँ.
--शम्भू साधारण, मधेपुरा
नहीं कहना चाहता मैं अलविदा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 31, 2011
Rating:
बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
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