तकती फाटक .... !!

उनके मासूम सोच पे
पहरा दुनिया ने लगा रखा है,
वो जीती रही पिंजरे में और
हमने आसमान सजा रखा है !!

दाना चुंग गई पंछी
दुनिया के बिछाए जाल का,
पिंजरे में बैठी मैना सोचे
कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का,  
कभी रोये कभी नाचे
पंख फैला कर आसमान दिखाए,
पर उसकी बेबसी
कोई और समझ ना पाये,
यूँ तार तार हो रहा है उसके
उन्मुक्त आसमान के जज्बात का,
दाना चुंग गई पंछी
दुनिया के बिछाए जाल का !!

तकती फाटक अश्रु भरी नज़रों से,
कि मिल जाये कोई आहट
इसके खुल जाने की आवाज़ का ,
मैं भी उडूँ ओर खूब उडूँ
पाके अपनी चाहतों के ऊँचाई के कयाज़ का,
दाना चुंग गई पंछी
दुनिया के बिछाए जाल का,
पिंजरे में बैठी मैना सोचे
कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का !!

टूटे टूटे सपनो को संजो कर,
एक घर बनाऊं दूर पेड़ के डाल पे
तिनकों और झाड़ का,
वक़्त के उलझन में
उलझ के जो टूटे अरमान,
उन उन्मुक्त आसमान के जज्बात का,
दाना चुंग गई पंछी
दुनिया के बिछाए जाल का,
पिंजरे में बैठी मैना सोचे
कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का !!

 
--अजय ठाकुर,नई दिल्ली.
तकती फाटक .... !! तकती फाटक .... !! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 01, 2012 Rating: 5

1 comment:

  1. राकेश सर ओर मधेपुरा टामस के सभी सह्योगिओं को नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई ... ओर शुक्रिया की आप सब ने मेरे कविता को इस लायक समझा ..ये इस नव वर्ष का बेहतिरिन उपहार है मेरे लिए ...!!

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