अत्यंत ही प्राचीन इस खेल कुश्ती का महत्त्व एक समय में बहुत ही अधिक था.पर युवाओं में क्रिकेट का क्रेज क्या बढ़ा राष्ट्रीय खेल हॉकी तक की इसने दुर्गति कर दी.जबकि आज भी कई भारतीय कुश्ती को मूल शक्ति प्रदर्शन का खेल मानते हैं.सरकारी उदासीनता ने भी बिना खर्च वाले इस खेल को आज हाशिए पर धकेल रखा है.
पर मधेपुरा के युवा आज भी इस खेल को न सिर्फ जिन्दा रखे हुए हैं,बल्कि इसमें राष्ट्रीय स्तर तक भी मधेपुरा की पहचान बनाने के लिए प्रयासरत हैं.मधेपुरा के साहुगढ़ में आज भी इसकी नियमित प्रैक्टिस की जाती है.ये खिलाड़ी नेशनल तक खेलने जा रहे हैं और कई जगहों पर इन्होने तो सफलता भी अर्जित की है.पर प्रशासन ने न इन्हें उभारने की कोई संतोषप्रद कोशिस की और न ही इन्हें दिया सरकारी मदद.
जो भी हो,इन खिलाड़ियों के हौसलों में अब तक कोई कमी नहीं है.पर डर इस बात का तो है कि यदि इसी तरह इनकी सरकारी उपेक्षा की जाती रही तो अत्यंत प्राचीन यह खेल गुमनामी के दौर में चला जायेगा.
कुश्ती को आज भी जिन्दा रखे हैं मधेपुरा के युवा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 26, 2011
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