कोसी समेत बिहार के कई इलाकों में मन्नत पूरी होने पर महिलायें छठ के घाट पर लौंडा(यानी लड़की के वेश में लड़का) नचाने को गछ्ते हैं.दण्ड प्रणाम की परंपरा की ही तरह कोसी में भी लौंडा नाच की परम्परा सदियों पुरानी है.ये अलग बात है कि अब छठ के घाट पर नाचने के एवज में ये ‘लौंडे’ बहुत ही ज्यादा राशि मांग करते हैं,जिससे ये परम्परा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.चूंकि ये एक पूरी टीम होती है जिसमे बाजा बजाने वाले भी होते हैं.एक इस टीम का मैनेजर होता है जो ‘लौंडे’ की अदा पर रिझने का नाटक करता है.(लौंडा नृत्य के विषय में कुछ और जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मधेपुरा जिला मुख्यालय के विभिन्न घाटों का दौरा करने पर कुछ जगहों पर इस नृत्य का आनंद लेते लोग नजर आये.संगीत की धुन पर जहाँ ये नृतक नृत्य की अनेक अदाओं से दर्शकों को सराबोर कर रहे थे,वहीँ दर्शक भी इनकी ताल से ताल मिला रहे थे.
छठ के घाट पर के लौंडा नाच का वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
मनोकामना पूर्ण होने पर होता है ‘लौंडा नाच’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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November 01, 2011
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