राकेश सिंह/०१ नवंबर २०११
छठी मईया को श्रद्धालु मनोकामना पूरी करने की देवी मानते हैं.बहुत से धार्मिक प्रवृति के लोगों के जीवन में जब मुश्किलें आती है या फिर वे कुछ अच्छा पाना चाहते हैं तो ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर ईश्वर को कुछ अर्पित करने की भी बात करते हैं.कोशी के क्षेत्र में अभी भी कुछ महिलाएं मनोकामना पूरी होने पर छठ के घाट तक दंड प्रणाम देते हुए जाने की बात छठी मईया से गछ्ते हैं.और ये माना जाता है कि गछी हुई बातों से मुकरने पर अनिष्ट की आशंका बनी रहती है.
पर अपने घर से दंड प्रणाम देते हुए घाट तक जाना बहुत आसान नहीं होता है.कईयों की हालत इतनी खराब हो जाती है कि उनका रास्ते में उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है.पर किसी भी हाल में उन्हें घाट तक तो जाना है ही.ऐसे में महिलाओं को या तो उनके पति या फिर भाई दे देते हैं सहारा और तय हो जाती हैं मंजिलें.आखिर एक बड़ी मनोकामना पूरी हुई है और मईया की शक्ति जो साथ है.
यहाँ हम दिखाते हैं आपको एक वीडियो,जिसे देखकर आपको लगेगा कि दंड प्रणाम सबके लिए आसान नहीं है.(वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें)
आस्था के आगे कठिन दंड प्रणाम भी होता है आसान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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November 01, 2011
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