सहरसा पुलिस के जुल्म की दास्तान

सहरसा से चन्दन सिंह की रिपोर्ट
        सहरसा पुलिस और जेल पुलिस की दादागिरी से एक परिवार तहस--नहस होने के कगार पर /पहले पुलिस द्वारा पति के अपहरण के गलत मुकदमें में फंसाकर पत्नी को भेजा जेल, फिर जेल पुलिस के द्वारा पत्नी की तीमारदारी के लिए तत्पर बेकसूर पति की बेरहमी से पिटाई कर भेजा है जेल / मीडिया की खाश मुहीम से पुलिस ने बेकशुर पति  को छोड़ा / बिगडैल पुलिस की अजीबो---गरीब कारस्तानी /हद की इंतहा देखिये की कोई मुझे और मेरे पति को बचाओ की फ़रियाद कर रही इस अभागी पत्नी ने कुछ दिन पहले ही जेल प्रशासन की लापरवाही से खोया है अपना नवजात बच्चा/ कुभाकरना नींद से  नहीं जग रहा पुलिस प्रशासन.
                                सहरसा पुलिस और जेल पुलिस--प्रशासन के रवैये से एक परिवार अब पूरी तरह से तहस---नहस होने के कगार पर है.सहरसा पुलिस की बिगडैल कार्यशैली की वजह से पति के अपहरण के फर्जी मुक़दमे में फंसकर पहले तो बेकसूर गर्भवती पत्नी जेल गयी फिर जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उसके नवजात बच्चे की मौत हो गयी.बच्चे की मौत के सदमें से आहत
और निदोष रहते हुए जेल की सजा काट रही यह लाचार और बेबस पत्नी फिलवक्त गंभीर रूप से बीमार है जिसका इलाज जेल पुलिस की अभिरक्षा में सदर अस्पताल में हो रहा है.अपनी बीमार पत्नी को अस्पताल में देखने,उससे उसका हाल-चाल पूछने और उसकी तीमारदारी के लिए अस्पताल में पहुँचे उसके पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में लगे पुलिस जवान ने रोका लेकिन जब वह मिलने की जिद पर अड़ गया तो पुलिस जवान ने ना केवल उसकी जमकर पिटाई की बल्कि उसे हथकड़ियों में जकड़कर सदर थाना भी पहुंचा दिया.पहले से पुलिस की बेशर्मी की वजह से पिछले चार महीने से जेल की सजा काट रही पत्नी के बाद अब पुलिस उसके पति को भी जेल भेज दे लेकिन मीडिया ने जब निर्दोष  अनु और उसके पति को इंसाफ दिलाने के लिये राजधानी से लेकर सहरसा तक के  तमाम वरीय पदाधिकारी से संवाद करने लगी तो दबाब में आकर अनु के पति को छोड़ा.
            बेड पर लाचार और बिल्कुल बेबस अन्नू को सहरसा पुलिस ने अपने ही पति के अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर बीते 19 अगस्त को जेल भेज दिया.उस समय अन्नू गर्भवती थी.हद की इंतहा देखिये अन्नू को 25 अक्तूबर को एक बेटा हुआ लेकिन वह जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से इलाज के अभाव में 12 नवम्बर को दम तोड़ दिया.सदमें में अब अन्नू बीमार है जिसका यहाँ पर इलाज चल रहा है.बिना किसी कसूर के अन्नू अपने ही दो रसूखदार भैंसुरों के द्वारा अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल भेज दी गयी.बताते चलें की अन्नू का पति मौजूद था लेकिन उसकी एक ना सुनी गयी.पैसे और पैरवी के दम पर इस फर्जी अपहरण काण्ड को पुलिस के आलाधिकारियों के अनुसंधान में ना केवल सत्य करार दिया गया बल्कि कोर्ट में चार्जसीट भी समर्पित कर दिया गया.आखिरकार अन्नू को अपनी माँ के साथ जेल जाना पड़ा.अब बीमार अन्नू यहाँ पड़ी हुई है तो उसकी देख--रेख के लिए उसका पति यहाँ आता है .लेकिन यमराज बने पुलिसवाले अन्नू के पति को उससे मिलने देना नहीं चाहते हैं.आज तो अन्नू पर फिर से एक इंसानी कहर बरपा है. अन्नू के पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में तैनात पुलिस जवान ने जमकर धुनाई की फिर उसे सदर थाना पहुंचा दिया.अन्नू बताती है की वह बीते 13 नवम्बर से यहाँ भर्ती है और उसके पति की इससे पहले भी कई बार पिटाई हो चुकी है.आज तो हद हो गयी.उसे मारपीट कर जेल भेजा जा रहा है.उसके पति उसके इलाज के लिए उससे पूछने आते हैं लेकिन यह पुलिसवालों को अच्छा नहीं लगता है.अन्नू सीधे तौर पर कहती है की उसे और उसके पति को ये लोग मिलकर मार डालना चाहते हैं.तड़पती अन्नू से जब हमने बात की तो उसने अपने पति और खुद अपनी रक्षा के लिये मीडिया से गुहार लगाने लगी.
           अभागा पति धीरज रंजन.यह अपने दो बड़े भाईयों और माँ की साजिश और पुलिस की जुल्म का शिकार. इसके हाथों को पीछे बांधकर हथकड़ियों में जकड़कर सदर थाना ले जाया गया. पहले इसकी जमकर धुनाई की गयी है.इस अभागे का बस इतना सा कसूर है की यह अपनी पत्नी के पास रहकर उसके इलाज की समुचित व्यवस्था अपनी आँखों के सामने होते देखना चाहता है. अपने प्रिये अन्नू को समझाना चाहता था की सब कुछ ठीक हो जायेगा. लेकिन मानविये संवेदना खोई  जेल पुलिस को यह मंजूर नहीं था.हांलांकि धीरज की आज से पहले भी खूब पिटाई हुई थी लेकिन आज की पिटाई में उसने विरोध किया तो उसे पीटने वाला सिपाही खुद अस्पताल की फर्श पर गिर गया जिससे उसके सर में चोट लग गयी.जवान के सर में चोट लगी है तो जाहिर सी बात है उसका गुस्सा सातवें आसमान पर होगा.फिर क्या था यह जवान सदर थाने की पुलिस की मदद से इसे हथकड़ियों में जकड़कर सदर थाना ले जा रहा है.धीरज चीख--चीख कर कह रहा है की उसकी पिटाई करने के दौरान यह जवान जख्मी हुआ है.उसने अपनी पत्नी का इलाज बेहतर ढंग से हो इसलिए अस्पताल में रहना चाहता था.अस्पताल की बेड पे सोई अन्नू से चंद कुछ बाते करना चाहता था जिसे सुन अन्नू आपने विपदा को भुला सके. आपने नवजात बच्चे के मौत को भुला सके . लेकिन जेल सिपाही उसे यहाँ देखना तक गंवारा नहीं करते थे.मीडिया से वह  से वह रो-रोकर और विलाप करते हुए डी.एम साहब से मिलाने की बात कर रहा है.
                         अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए आये लोग और उस वार्ड में जहां अन्नू को रखा गया है उस वार्ड के अन्य मरीज के परिजनों का कहना है की इस महिला के पति धीरज का कोई कसूर नहीं है.वह अपनी पत्नी का इलाज ठीक ढंग से हो इसके लिए यहाँ आता था.लेकिन बेकसूर धीरज को पुलिस जवान ने वार्ड से खींचकर बरामदे पर ले जाकर उसकी खूब पिटाई की.अब खुद की गलती छुपानी हो और कोई बड़ा साक्ष्य हाथों में मौजूद हो तो फिर क्या कहने.पिटाई करने वाले जेल पुलिस के जवान को धीरज की पिटाई के दौरान गिरने से उसके सर पर चोट लग गयी है.यह चोट लेकर वह सदर थाने गया जहां से जख्म प्रतिवेदन लेकर अस्पताल में खुद का इलाज कराया.अब उसके पास धीरज के खिलाफ मजबूत प्रमाण हैं.पूछने पर यह सिपाही बताता है की धीरज अपनी पत्नी के पास खड़ा होकर हल्ला और हंगामा कर रहा था.उसने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने उस पर हमला कर दिया जिससे वह घायल हो गया है.
सहरसा पुलिस के जुल्म की दास्तान सहरसा पुलिस के जुल्म की दास्तान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 20, 2011 Rating: 5

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