किस आधार पर
सब कहते हैं - ' प्यार कभी नहीं मरता '
... मरता है प्यार
यदि वह इकतरफा हो
मरता है प्यार
यदि उपेक्षा के दंश गहरे हों !
अहम् और अस्तित्व में फर्क होता है ...
विलीन होना जानता है
पर उसके अस्तित्व को मिटाना ?
क्या सरस्वती के बगैर त्रिवेणी का अस्तित्व होगा ?
प्यार पहचान देता है
ना देखकर भी उसे देखा जा सकता है
पर देखकर जब कोई ना पहचाने
फिर प्यार ..... मानो न मानो
मर जाता है !
हाँ मृत्यु से पहले
प्यार मोह की बैसाखी लेता है
खींचता है अपना सर्वांग
लेकिन ...
जब वह खुद को खींचने में असमर्थ होता है
और उसके लड़खड़ाते अस्तित्व के आगे
किसी की मजबूत हथेली नहीं होती
तो - प्यार मौन हो जाता है !
अवरुद्ध साँसों के बीच
अतीत की लकड़ियाँ इकट्ठी करता है
भूले से भी लकड़ियों में गीलापन न रह जाए
प्राप्त उपेक्षा के घी से उसे सराबोर करता है
फिर आँखों की माचिस से
एक बूंद की तीली ले
उसे प्रोज्ज्वलित करता है
उम्मीदों का तर्पण कर
खुद को खुद ही मुक्ति देता है ....
अमरत्व उस प्यार में है
जहाँ दोनों तरफ अमृत हो
एक तरफ अमृत और एक तरफ विष हो ....
तो ,
.... अब सोचकर देखो ,
प्यार मर जाता है न ?
-रश्मि प्रभा, पटना
प्यार मर जाता है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 20, 2011
Rating:

अमरत्व उस प्यार में है
ReplyDeleteजहाँ दोनों तरफ अमृत हो
एक तरफ अमृत और एक तरफ विष हो ....
तो ,
.... अब सोचकर देखो ,
प्यार मर जाता है न ?
Really mem one sided love always die ...what a deep thought about one sided love ...:(
shukriyaa ajay ji
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