जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों में सीडीपीओ और कुछ अधिकारियों ने लूट मचा रखा है,इस बात पर शायद ही किसी को कोई संदेह हो.मधेपुरा टाइम्स ने जब इस लूट के पहलूओं पर विस्तार से लिखना शुरू किया तो उसके बाद डीएम मिन्हाज आलम ने खुद ही जांच की कमान संभाल ली. ताजा मामले में जब लगातार के निरीक्षण में डीएम ने आंगनबाड़ी केन्द्रों का दौरा किया और जब सेविकाओं को बिना ड्रेस के देखा तो इस सम्बन्ध में पूछताछ की.सेविकाओं ने बताया कि उन्हें इसकी आपूर्ति नहीं की गयी है,जबकि गत मार्च में ही इसका टेंडर हो चुका था.जिम्मेवार अधिकारियों ने आनन्-फानन में घटिया साड़ी खरीद कर सेविकाओं तो बाँट दिया और इसमें भी कर गए एक बड़ा साड़ी घोटाला.कुछ सेविकाओं ने इसका विरोध तो किया पर बताते चलें कि सीडीपीओ या अन्य पदाधिकारियों का खुल कर विरोध करने की हिम्मत ये सेविकाएं नहीं जुटा सकीं.पर मीडिया के माध्यम से जब डीएम को इस साड़ी घोटाले की खबर मिली तो इसे गंभीर मामला मानते हुए जांच के आदेश दे दिए.सूत्रों की मानें तो सेविकाओं को मिले एक साड़ी की कीमत पचास-साठ रूपये के आसपास होगी, जबकि नियमानुसार १९००/- रू० में चार साड़ी की खरीद होनी थी और इसकी आपूर्ति की जानी थी.मतलब साफ़ है, इसमें बीच के अधिकारियों ने आपूर्तिकर्ता से मिलकर लाखों का गबन किया है,प्रतीत होता है.
अब जिलाधिकारी की जांच में क्या सच सामने आ पाता है, ये तो समय ही बताएगा,पर इस घोटाले में लिप्त अधिकारियों की रातों की नींद तो हराम हो ही चुकी है.
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आंगनबाड़ी सेविका साड़ी घोटाले का पर्दाफाश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 29, 2011
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