मधेपुरा में विभिन्न योजनाओं के नाम पर एक बड़ी राशि खर्च कर तो दी जाती है,पर प्रशासन द्वारा समुचित रखरखाव के अभाव में सारी योजनाओं की हवा निकल जाती है.वर्ष २०१० में मधेपुरा शहर समेत जिले के सौन्दर्यीकरण पर लाखों रूपये खर्च तो कर दिए गए पर यदि उसके वर्तमान हालात तो देखा जाय तो सारा खर्च पानी में बहा लगता है.पूरे जिले में हाई मास्ट लैम्प लगा कर इसे रौशन करने की योजना भी कारगर नहीं हो पा रही है.नए जगह पर हाईमास्ट लैम्प लगते जाते हैं और पुराने में से कई खराब होते जा रहे हैं.यही स्थिति बस स्टैंड से जिलाधिकारी के आवास होते हुए वीमेंस कॉलेज तक सड़क के दोनों ओर लगाए गए लैम्पपोस्ट की भी हो गयी है.शुरू में काफी खूबसूरत दिखने वाले इन लैम्पों में से सड़क के एक तरफ के सारे लैम्प अब महीनों से खराब पड़े हैं. आला अधिकारियों की गाड़ियां बगल से गुजर जाती हैं पर इन्हें ठीक कराने वाला शायद कोई नहीं है.इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रशासन को सामानों के रखरखाव की कोई चिंता नहीं है और जिले में सौन्दर्यीकरण की महज औपचारिकता ही पूरी की जा रही है.
मधेपुरा में सौंदर्यीकरण हुआ टांय-टांय फिस्स
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 24, 2011
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