देखो भैया सच तो हमने कभी बोला नहीं,
और झूठ हमको आता नहीं,
देश के हम सेवक है,
जनता-जनार्दन हमरा मालिक है
खादी के पोशाक पहनते है,
और राजनेता हमरा नाम है
अरे ठहरों जात तो हमने बताया नहीं,
भ्रष्टाचार हमरा जात है !
ऐसा देखा था, मैंने
एक सपना गत बीती रात को,
राजनेताओं के असत्य बोलते औकात को !!
पर शर्मशार हूँ मैं ,
ये सपना नहीं एक हकीकत है,
हमारे प्रजातंत्र की नेता एक
घटिया ओर निकम्मी फजीहत है !!
यूँ तो ये तुच्छ पर
उच्च कोटि के प्राणी है,
घोटालों में देश को बेचो
ये उनकी वाणी है,
दीमक की तरह बसते है
संविधान के चौखट पे,
कुर्सी की सवारी करते है
हम जनता के वोट पे,
राहत की सांसे लेते है
राहत के राशि को लूट के,
योजना के नाम से, योजना बनाते है
स्विस बैंक के अकाउंट का,
ओर गलत फायदा उठाते है
हमारे अधिकारों के लिए
उठाये गये साउंड का,
ना जाने ऐसे कितने परिभाषा है
जो इनके छवि को परिभाषित करते है,
छय है हमपर, ना जाने क्यूँ
बार -बार इनको हम
राजनेता के टोपी से सुशोभित करते है!
अब वक़्त आ गया है
बदल डालो इस समाज को,
कुछ अच्छा करके नेताजी
बदल डालो आवाम को,
वरना तेरी खुद की संतान
कोसेगी तेरी जात को,
ऐसा देखा था, मैंने
एक सपना गत बीती रात को,
राजनेताओं के असत्य बोलते औकात को !!

देश के हम सेवक है,
जनता-जनार्दन हमरा मालिक है
खादी के पोशाक पहनते है,
और राजनेता हमरा नाम है
अरे ठहरों जात तो हमने बताया नहीं,
भ्रष्टाचार हमरा जात है !
ऐसा देखा था, मैंने
एक सपना गत बीती रात को,
राजनेताओं के असत्य बोलते औकात को !!

ये सपना नहीं एक हकीकत है,
हमारे प्रजातंत्र की नेता एक
घटिया ओर निकम्मी फजीहत है !!
यूँ तो ये तुच्छ पर
उच्च कोटि के प्राणी है,
घोटालों में देश को बेचो
ये उनकी वाणी है,
दीमक की तरह बसते है
संविधान के चौखट पे,
कुर्सी की सवारी करते है
हम जनता के वोट पे,
राहत की सांसे लेते है
राहत के राशि को लूट के,
योजना के नाम से, योजना बनाते है
स्विस बैंक के अकाउंट का,
ओर गलत फायदा उठाते है
हमारे अधिकारों के लिए
उठाये गये साउंड का,
ना जाने ऐसे कितने परिभाषा है
जो इनके छवि को परिभाषित करते है,
छय है हमपर, ना जाने क्यूँ
बार -बार इनको हम
राजनेता के टोपी से सुशोभित करते है!
अब वक़्त आ गया है
बदल डालो इस समाज को,
कुछ अच्छा करके नेताजी
बदल डालो आवाम को,
वरना तेरी खुद की संतान
कोसेगी तेरी जात को,
ऐसा देखा था, मैंने
एक सपना गत बीती रात को,
राजनेताओं के असत्य बोलते औकात को !!

--अजय ठाकुर,नई दिल्ली
ऐसा देखा था मैंने एक सपना !!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 25, 2011
Rating:

No comments: