राकेश सिंह/०७ जुलाई २०११
फुलौत से आयी महिला रम्भा देवी का भडकना कुछ हद तक जायज ही था.जेल में बंद पति तारीख पर कोर्ट आए तो रम्भा भी मिलने गाँव से मधेपुरा कोर्ट पहुंची.हाजत से न्यायालय में पेशी के लिए कैदियों को ले जाया जाने लगा तो रम्भा ने चलते-चलते पति से कुछ जरूरी बातें करनी चाही.इस पर साथ जा रही एक महिला पुलिस ने रम्भा को डांटकर हटाना क्या चाहा, भड़क उठी ये महिला.चिल्ला कर कहने लगी अभी दस रूपये दे दूंगी तो आधा घंटा बात करा दोगी, बड़े-बड़े क्रिमिनल के सामने तो तुम लोगों की भाप भी नही उठती.
जेल में क्या सब धंधा होता है किसी से छुपा है क्या?एक दिन तुम्हारे भी बाल-बच्चे जेल जायेंगे तब बात करने को मेरे जैसे ही तड़पोगी. इस पर महिला पुलिस ने धक्का दिया तो रम्भा ने भी उसे धक्का दे दिया और चैलेन्ज किया कि आज फरिया ही लेंगे.हल्ला-गुल्ला से लोगों की भीड़ जमा हो गयी.फिर सबने समझा-बुझा कर महिला को अलग किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.
जेल में क्या सब धंधा होता है किसी से छुपा है क्या?एक दिन तुम्हारे भी बाल-बच्चे जेल जायेंगे तब बात करने को मेरे जैसे ही तड़पोगी. इस पर महिला पुलिस ने धक्का दिया तो रम्भा ने भी उसे धक्का दे दिया और चैलेन्ज किया कि आज फरिया ही लेंगे.हल्ला-गुल्ला से लोगों की भीड़ जमा हो गयी.फिर सबने समझा-बुझा कर महिला को अलग किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.
यहाँ एक बड़ा सवाल उठता है जो बहुत कुछ महिला की बातों में ही है.पुलिस द्वारा पैसे के लोभ में वीआईपी कैदियों को बाजार के होटल में रंगरेलियाँ मनवाने की भी बात जहाँ कई बार सामने आ चुकी हैं, वहां कैदियों के साथ चलनेवाले पुलिस का एक बेबस महिला का चलते-चलते पति से बात करने पर क़ानून समझाना और धक्का देने की धमकी देना कहाँ तक उचित है?
कैदी पति से बात न करने देने से भड़की महिला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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July 07, 2011
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