राकेश सिंह/०७ जुलाई २०११
नाम- गौतम ठाकुर, कद- ३ फुट ३ ईंच, ईश्वर ने बचपन से ही शारीरिक विकलांगता दे दी जिसकी वजह से सीधा खड़ा भी मुश्किल से रह पाते हैं.पर इरादा बुलंद था, शारीरिक अक्षमता किनारे चली गयी और अब दावा करते हैं कि बड़ों-बड़ों के सर झुकते हैं मेरे सामने.बात कुछ हद तक सही भी है.चूंकि गौतम पेशे से नाई हैं तो बाल कटाते समय लोगों के सर तो झुकेंगे ही.वो भी जब इनकी हाईट इतनी कम हो तो लोगों को सर तो कुछ ज्यादा ही झुकाना पड़ेगा.
समाहरणालय के पास सैलून चलाकर परिवार का पेट चलाने वाले मरूआहा के गौतम ठाकुर कहते हैं
कि बचपन से ही विचित्र शारीरिक संरचना के कारण लोग मुझपर हँसते थे.लोगों की आदत ही है दूसरों पर हंसना.पर उन्हें ये समझना चाहिए कि मैं अपने कर्म से ऐसा नही बना हूँ बल्कि ईश्वर ने ही मुझे इसी तरह बनाया है.कर्म से तो मैं अभी भी मिहनत करके अपने परिवार का पेट चला रहा हूँ, जबकि समाज में बहुत से अच्छे शरीर वाले ठगी, बेईमानी और भ्रष्टाचार से अपना घर भरने में लगे हैं.गौतम से बाल बनवा रहे ग्राहक कहते हैं बाल बनाते समय इनकी तरह-तरह की बातें सुनना और भी अच्छा लगता है. सैलून के आसपास के लोग भी गौतम की बात से पूरी तरह सहमत दिखते हैं,
कि बचपन से ही विचित्र शारीरिक संरचना के कारण लोग मुझपर हँसते थे.लोगों की आदत ही है दूसरों पर हंसना.पर उन्हें ये समझना चाहिए कि मैं अपने कर्म से ऐसा नही बना हूँ बल्कि ईश्वर ने ही मुझे इसी तरह बनाया है.कर्म से तो मैं अभी भी मिहनत करके अपने परिवार का पेट चला रहा हूँ, जबकि समाज में बहुत से अच्छे शरीर वाले ठगी, बेईमानी और भ्रष्टाचार से अपना घर भरने में लगे हैं.गौतम से बाल बनवा रहे ग्राहक कहते हैं बाल बनाते समय इनकी तरह-तरह की बातें सुनना और भी अच्छा लगता है. सैलून के आसपास के लोग भी गौतम की बात से पूरी तरह सहमत दिखते हैं,
कद छोटा,पर बड़ों-बड़ों के सर झुकते हैं इनके सामने
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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July 07, 2011
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