बेलगाम होती कोसी नदी आलमनगर के मुरौत गांव को अब अपने आगोश में लेने ही वाली है.बचपन से लेकर जवानी तक इस गाँव में बिताए क्षण ग्रामीणों को रह-रह कर याद आते हैं.जाएँ तो जाएँ कहाँ? जीवन भर का अर्जन कोसी मईया ने छीन लिया.अपने-अपने आशियाने को उजाड़ कर जहाँ अधिकांश लोग गाँव छोड़कर चले गए, वहीं दस-बीस परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें एक तो अपनी मिट्टी (जो अब बची नही) का मोह जा नही रहा और इनके पास बसने को नयी जगह भी नहीं.शायद ये उस आख़िरी पल के गवाह बनना चाहते हैं, जब ईश्वर अपनी निर्दयता की सीमा को पार करेंगे.सूनी आँखों से रामलाल सिंह कहते है,” जब कोसी मैया के इहे मंजूर छै, त हमर परिवार के लाशो उन्हीयें ले जथीन”.गाँव में अभी भी रह रही विक्षिप्त सी सीता देवी गाते-गाते रो पड़ती है...”कोसी सन बेदर्दा जग में न कोई......”
मधेपुरा टाइम्स के प्रधान संपादक रूद्र नारायण यादव ने इस गाँव की अंतिम समय की कुछ ताजा तस्वीरें ली है.आइये इतिहास बनने जा रहे इस गाँव को देखें कैमरे की नजर में...
कोसी में विलीन होता मुरौत:कैमरे ही नजर में.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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July 05, 2011
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