स्वतंत्र भारत में कुछ ही ऐसे क्षण हैं जब किसी सत्याग्रह या जनांदोलन को स्वतः आम लोगों का विशाल समर्थन मिलता है जैसा कल नई दिल्ली के जंतर मंतर पर शुरू अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के विरूद्ध आमरण अनशन को मिला. मैं अपने कुछ साथियों के साथ अपना समर्थन ज़ाहिर करने के लिए जंतर मंतर गया जिससे अन्ना के आन्दोलन को बल मिले क्योंकि मुझे इस आन्दोलन के सार्थकता, महत्व और ईमानदारी के प्रति कोई शंका नहीं है.
अन्ना हजारे ने आज से अपना अमरण अनशन एक सशक्त भ्रष्टाचार विरोधी कानून " जन लोकपाल विधेयक " लाये की मांग को लेकर शुरू किये हैं.
वहां बांटे गए पर्चे पर लिखा था - " पिछले बार जब अन्ना हजारे ने आमरण अनशन किया तो - * महाराष्ट्र के ६ भ्रष्ट मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा;* ४०० भ्रष्ट अधिकारीयों को नौकरी से बर्खास्त किया गया;*२००२ - महाराष्ट्र सूचना अधिकार विधेयक पारित हुआ;*२००६ - केन्द्रीय सरकार ने सूचना के अधिकार में अपने प्रस्तावित संशोधन को वापस ले लिया.
अब अन्ना जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं. ७८ वर्ष की आयु में अन्ना अपने लिए नहीं हमारे बच्चों के भविष्य के लिए अनशन कर रहें हैं.
कल दिल्ली में 25 लाख लोगों ने देश के लिए उपवास किया | आप क्या करेगे ... और कुछ नहीं तो एक missed call तो कर ही सकते हो .. नंबर मै दे देता हूँ. |02261550789 पर करनी है."
डॉ.किसन बाबुराव हजारे,उर्फ़ अन्ना हजारे ( जन्म जून १५, १९३८),एक समाजसेवी हैं जिन्हें महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक गाँव रालेगन सिद्धि के विकास के लिए तथा इस गाँव को एक माडल गाँव बनाने में योगदान दिया . भारत सरकार ने उन्हें १९९२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया.
१९६३ में भारत - चीन युद्ध के समय भारत सरकार के आह्वान पर वे भारतीय फौज में शामिल हो गए. १९६५ में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय वे खेमकरण सीमा पर तैनात थे. पाकिस्तान के हवाई हमले में उनके सभी साथी मरे गए, तथा उनके सर के बिलकुल पास से एक गोली निकल कर चली गयी. उनके जीवन का वो एक निर्णायक छण था. वे स्वामी विवेकानंद के चित्र और बाद में उनके जीवन से प्रभावित हुए.
इस तरह अपने मुट्ठी भर पेंसन के सहारे ही समाजसेवा और अपने गाँव को सुधरने में जुट गए. उनके आन्दोलन के सामने अक्सर सरकार को झुकना पड़ा है. सूचना है की उनके अनशन के समर्थन में महाराष्ट्र के ४०० छोटे बड़े जगहों पर साथ- साथ अनशन हो रहा है.
१९६३ में भारत - चीन युद्ध के समय भारत सरकार के आह्वान पर वे भारतीय फौज में शामिल हो गए. १९६५ में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय वे खेमकरण सीमा पर तैनात थे. पाकिस्तान के हवाई हमले में उनके सभी साथी मरे गए, तथा उनके सर के बिलकुल पास से एक गोली निकल कर चली गयी. उनके जीवन का वो एक निर्णायक छण था. वे स्वामी विवेकानंद के चित्र और बाद में उनके जीवन से प्रभावित हुए.
इस तरह अपने मुट्ठी भर पेंसन के सहारे ही समाजसेवा और अपने गाँव को सुधरने में जुट गए. उनके आन्दोलन के सामने अक्सर सरकार को झुकना पड़ा है. सूचना है की उनके अनशन के समर्थन में महाराष्ट्र के ४०० छोटे बड़े जगहों पर साथ- साथ अनशन हो रहा है.
मैंने देखा की लोगों के साथ-साथ वहां मीडिया का भी भारी जमवारा था. मेरे ध्यान में कुछ मित्रों का ख्याल आया जो इन्टरनेट पर अपने वार्ता या बयान में बहुत योगदान देते हैं. परन्तु यह मेरा निजी और पूर्ण विश्वास है की भ्रष्टाचार रुपी दीमक जो हमारे देश के जड़ों को खोकला कर रहा है, से अगर कोई लोहा लेता है तो किसी भी कोने या राजनैतिक-सामाजिक छाया से आने वाले समर्थन का स्वागत होना चाहिए, चाहे उनकी जो मजबूरी से वे मदद दे रहें हों.यह भी कटु सत्य है की सिर्फ व्यापक जन आन्दोलन से ही परिवर्तन आयेगा, जैसा १९७७ के जनता (जे पी ) या १९९० के जनता (वि पी) के जनांदोलनो से हुआ था.
मुझे स्वामी विवेकानंद की वो आह्वान याद आ रही है जब उन्होंने कहा, " उठो, जागो और चलते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाये." यह इस आन्दोलन को समर्थन देने सभी भारत वासियों को याद रखना होगा. जय हिंद.
अन्ना हजारे ने आमरण अनशन शुरू किया....
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 06, 2011
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Rakeshji, Thanks for the post. Best Wishes.
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