मधेपुरा में मान्यता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रायोगिक परीक्षा जो रूप सामने आ रहा है वो जिले में शिक्षा की सुधार को गहरा धक्का है.इंटर की सैध्यन्तिक परीक्षा समाप्त हो चुकी है और इस परीक्षा का भी जो रूप सामने आया वो जिले को दागदार कर गया.एसडीओ के नेतृत्व में अनगिनत फर्जी परीक्षार्थी परीक्षा में पकड़े गए थे.अब प्रैक्टिकल परीक्षा में भी अनियमितताओं की भरमार देखी जा सकती है.अगर यहाँ भी जांच की जाय तो संभावना है कि बहुत से फर्जी परीक्षार्थी दूसरे के बदले परीक्षा देते पकड़े जाएँ.
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इन कक्षों में होती है प्रैक्टिकल परीक्षा |
इसके पीछे कुछ और पहलू हैं.एक तो इन मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों को सरकार ठीक से फंड मुहैया नही करा रही है सिर्फ महाविद्यालय चलाने की मान्यता भर दे देना इनकी बहुत सी समस्याओं का समाधान नही है.एक वजह ये भी है कि इन महाविद्यालयों में शिक्षा माफिया पनप गए हैं जो ठीके पर फॉर्म भरवाते हैं और अच्छे रिजल्ट की गारंटी देते है.इन महाविद्यालयों में लैब की व्यवस्था नहीं के बराबर है जिससे छात्रों को विषयों की प्रायोगिक जानकारी नहीं हो पाती है.चूंकि परीक्षा यहीं आकार देना है अत: गुरुजी को कुछ समर्पित कर देना ही प्रायोगिक परीक्षा की इतिश्री माना जाता है.
जो भी हो,पर ऐसी पढाई से कभी शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं हो सकता.आवश्यकता है सरकार को कोई ठोस पहल करने की.
जिले में प्रायोगिक परीक्षा बनी मजाक: हो रही सिर्फ खानापूर्ति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 06, 2011
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