रूद्र नारायण यादव/२० जनवरी २०१०
मधेपुरा जिला मुख्यालय से आठ किमी उत्तर में अवस्थित श्रृंगी ऋषि का तपोभूमि सिंघेश्वर मंदिर परिसर में बने शिवगंगा(तालाब) जिसमे बाहर से आने वाले श्रद्धालु बाबा भोले शंकर पर जल चढाने से पहले स्नान कर मन को शुद्ध करते थे,आज करीब एक साल होने हो है और निर्माणाधीन अवस्था में ही है.पिछले वर्ष अप्रैल में ही इसे सौन्दर्यीकरण के नाम पर तुडवा कर अस्त-व्यस्त कर दिया गया.उसके बाद से काम की रफ़्तार
इतनी धीमी है कि लगता है इस बार
महाशिवरात्रि तक भी शायद ही ये पूरा हो सके.मालूम हो कि सिघेश्वर स्थान बिहार का एक अत्यंत ही प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां पूरे उत्तर भारत के अलावे नेपाल आदि से भी श्रद्धालु शिवरात्री के अवसर पर लगने वाले मेले के दौरान जल चढाने आते हैं.इस वर्ष महाशिवरात्रि ३ मार्च को ही पड़ रहा है और निर्माण कार्य की यही गति रही तो कार्य पूरा होने में संदेह है.इस अस्त-व्यस्त अवस्था के कारण पिछले महीने इस तालाब में तीन बच्चों के डूब मरने की खबर है.शायद प्रशासन अब भी जगे और जल्द ही इस कार्य को पूरा करवाए ताकि इस अवस्था के कारण होने वाली दिक्कतों से लोगों को बचाया जा सके.
इतनी धीमी है कि लगता है इस बार
महाशिवरात्रि तक भी शायद ही ये पूरा हो सके.मालूम हो कि सिघेश्वर स्थान बिहार का एक अत्यंत ही प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां पूरे उत्तर भारत के अलावे नेपाल आदि से भी श्रद्धालु शिवरात्री के अवसर पर लगने वाले मेले के दौरान जल चढाने आते हैं.इस वर्ष महाशिवरात्रि ३ मार्च को ही पड़ रहा है और निर्माण कार्य की यही गति रही तो कार्य पूरा होने में संदेह है.इस अस्त-व्यस्त अवस्था के कारण पिछले महीने इस तालाब में तीन बच्चों के डूब मरने की खबर है.शायद प्रशासन अब भी जगे और जल्द ही इस कार्य को पूरा करवाए ताकि इस अवस्था के कारण होने वाली दिक्कतों से लोगों को बचाया जा सके.
प्रशासन की लापरवाही से सिंघेश्वर का शिवगंगा बना मौत और परेशानी का तालाब
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 20, 2011
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