रूद्र नारायण यादव/१४ जुलाई २०१०
भारत में पंचायती राज के रहनुमाओं ने  सपने में भी नही सोचा होगा कि पंचायती राज का कभी ऐसा भी चेहरा दिखाई  देगा.मधेपुरा जिले की इस अजीब घटना से गांधी और नेहरू के सपने बिखरते नजर आ  रहे हैं.ये घटना जिले के मुरलीगंज के भतखोडा पंचायत की है जहाँ दो ग्रामीण  डोमी मियां और अलादीन मियां के बीच मोबाईल को लेकर झगड़ा हो गया.मियां  मुस्ताक ठहरे गांव के मुखिया,और चल पड़े अपने दायित्व का निर्वाह 
करने."झगड़ा मत करो भाई,और मैं तुमलोगों का मुखिया जी हूँ,मेरी बात मानो,पंचायती राज में झगड़ा को रोकने का पहला अधिकार मुखिया को ही दिया है न!"
कुछ ऐसी ही सलाह मुखिया जी ने दोनों व्यक्तियों को देनी शुरू की.धत तेरे की!ये क्या हुआ?अलादीन मियां तो उलटे बरस पड़े मुखिया मुस्ताक मियां पर ही,और उससे भी आगे,भरे बाजार में उसने मुखिया जी की पिटाई भी शुरू कर दी.पिटे मुखिया जी पंचायती राज को कोसते हुए वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी.गाँव की एक कहावत काफी समय से काफी लोकप्रिय है,'जिसकी लाठी,उसकी भैंस.
बाद में अलादीन साहब ने यहाँ तक कहा कि यही वो मुखिया है जिसने पिछले साल मुझसे इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर दस हजार रूपये लिए थे,अब तक न ही इंदिरा आवास ही हुआ और न ही इसने पैसे ही लौटाये.यहाँ एक और कहावत याद आती है,'जैसा राजा,वैसी प्रजा'.
करने."झगड़ा मत करो भाई,और मैं तुमलोगों का मुखिया जी हूँ,मेरी बात मानो,पंचायती राज में झगड़ा को रोकने का पहला अधिकार मुखिया को ही दिया है न!"
कुछ ऐसी ही सलाह मुखिया जी ने दोनों व्यक्तियों को देनी शुरू की.धत तेरे की!ये क्या हुआ?अलादीन मियां तो उलटे बरस पड़े मुखिया मुस्ताक मियां पर ही,और उससे भी आगे,भरे बाजार में उसने मुखिया जी की पिटाई भी शुरू कर दी.पिटे मुखिया जी पंचायती राज को कोसते हुए वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी.गाँव की एक कहावत काफी समय से काफी लोकप्रिय है,'जिसकी लाठी,उसकी भैंस.
बाद में अलादीन साहब ने यहाँ तक कहा कि यही वो मुखिया है जिसने पिछले साल मुझसे इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर दस हजार रूपये लिए थे,अब तक न ही इंदिरा आवास ही हुआ और न ही इसने पैसे ही लौटाये.यहाँ एक और कहावत याद आती है,'जैसा राजा,वैसी प्रजा'.
पंचायती राज में झगड़ा रोकने गए मुखिया की पिटाई
 
        Reviewed by Rakesh Singh
        on 
        
July 14, 2010
 
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