रूद्र नारायण यादव/०४ जून २०१०
इस बात से मधेपुरा की अधिकांश जनता इनकार नहीं करती है कि बाढ़ राहत के नाम पर सरकारी कर्मचारियों और पंचायती राज से जुड़े दबंग लोगों ने जितना लूटपाट मचाया उसने मधेपुरा के गबन के पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए.पंचायत सदस्यों से लेकर वार्ड कमिश्नरों और सरकारी कर्मियों ने लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे किये.पर एक तो चोरी करें और ऊपर से सीनाजोरी हो तो पीड़ितों को न्याय के लिए दर-दर भटकना ही पड़ता है.एक ऐसा ही मामला कुमारखंड में सामने आया जब एक राजस्व कर्मचारी उमेश कुमार सिन्हा[यादव] ने एक महादलित विनेश्वर ऋषिदेव जिसकी मृत्यु करीब चार वर्ष पहले वर्ष २००६ में ही हो चुकी है,के नाम पर फसल क्षति सरकारी अनुदान की राशि चट कर गए और उलटे उसके जीवित पुत्र रामस्वरूप ऋषिदेव को जाति सूचक गाली-गलौज देकर बेरहमी से मारा पीटा इस सम्बन्ध में पीड़ित ने न्यायालय में एक परिवाद पत्र दायर किया है जिसको न्यायालय ने थाना भेजकर काण्ड दर्ज करवाया.अनुसंधानकर्ता तथा डी०एस०पी० के सामने भी पीड़ितों व गवाहों का बयान दर्ज करवाया गया है फिर भी अभियुक्त को पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया.पीड़ित रामस्वरूप ऋषिदेव ने इस बाबत एक आवेदन आरक्षी अधीक्षक मधेपुरा को देकर यह गुहार लगाई है कि राजस्व कर्मचारी उमेश कुमार सिन्हा खुले आम धमकी और चुनौती देते हैं कि इनका कुछ नहीं बिगाड़ने वाला है और ये मुक़दमे को रफा-दफा करवा लेंगे.राजस्व कर्मचारी पर यह भी आरोप है कि इन्होने बहुत सारे गरीब लाभार्थी का नाम दर्शा कर बाढ़-राहत के नाम पर एक बड़ी राशि का गोल-माल किया है.
लगता है सुशासन में भी सरकारी कर्मचारियों की मनमानी और लूटपाट बरक़रार ही रहेगी और गरीब व महादलित इनके आसान शिकार बनते रहेंगे.
राजस्व कर्मचारी की गुंडागर्दी-पुलिस बनी मूक दर्शक
Reviewed by Rakesh Singh
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June 05, 2010
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