कुसहा कलंक कथा (भाग-2): आंकड़ों का पहाड़ा पढ़ रहा प्रशासन

कुसहा त्रासदी के शिकार ढ़ेर सारे लोगों को अब तक घरौंदे के लिए राशि नहीं मिल पायी है। सरकारी सहायता से वंचित ऐसे लोग पंचायत प्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों का दरवाजा खटखटाते आजिज आ चुके हैं।
प्रशासन के पास पहाड़ जैसा आंकड़ों का पहाड़ा है। जिसे वह समय-समय पर पढ़ा करता है। लेकिन सच्चाई यही है कि लोगों का अपना घर का सपना धूल में मिलता जा रहा है। सरकारी आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड में 197 कच्चा मकान पूर्णरूपेण जबकि 407 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 22 पक्का मकान पूर्ण रूप से तथा 51 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 6 हजार 205 लोगों की झोपड़ी जलप्रलय में समाहित हो गयी। सोनवर्षा प्रखंड में भी 2 हजार 220 कच्चा मकान पूर्णरूपेण तथा 1600 कच्चा मकान आंशिक रूप से, 78 पक्का मकान पूर्णरूपेण तथा 121 आंशिक रूप से प्रभावित हुए। यहां 4660 झोपडिय़ों को कोसी माता ने अपनी आगोश में ले ली। पतरघट प्रखंड में भी 1241 कच्चा मकान पूर्ण रूप से तो 2422 आंशिक रूप से प्रभावित हुए। यहां 72 पक्का मकान पूर्णरूप से और 215 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। यहां 4760 झोपडिय़ां जलप्रलय में समाहित हो गयी। सिमरी बख्तियारपुर, बनमाइटहरी, नवहट्टा आदि क्षेत्रों में भी कुछ कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए। मधेपुरा जिले में 11 प्रखंडों के 130 पंचायत के लोग बाढ़ से तबाह हुए। 33,281 लोगों का कच्चा मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये। 1350 पक्का मकान को कोसी ने लील लिया वहीं 4134 पक्के मकानों को आंशिक रूप से क्षति पहुंचायी। यहां 48, 731 लोग अपनी झोंपड़ी से सदा-सदा के लिए हाथ धो बैठे। इसी तरह सुपौल के पांच प्रखंड के 78 गांव की 6.70709 आबादी प्रभावित हुई। सर्वेक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि 65745 मकान क्षतिग्रस्त हुए।
बहरहाल, हरिराहा के मीना देवी ने कहा कि हमलोगों का नाम तो सूची में भी नहीं है। बता दें कि वर्ष 2008 में जब कुसहा टूटा था तो यहां समंदर बहता था। यहां के कई लोगों ने बताया कि पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते थम चुका हूं। कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। कायदे से विलुप्त झोपड़ी के नवनिर्माण के लिए 2 हजार, कच्चा मकान पूर्णत: क्षतिग्रस्त होने पर 10 हजार, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर 15 सौ, पक्का मकान पूर्णरूपेण क्षतिग्रस्त होने पर 25 हजार देने की सरकार ने घोषणा की थी। कालक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बेघरों को घर के लिए 55-55 हजार रूपए देने की घोषणा की थी।
(सुपौल से बबली गोविन्द की रिपोर्ट)
कुसहा कलंक कथा (भाग-2): आंकड़ों का पहाड़ा पढ़ रहा प्रशासन कुसहा कलंक कथा (भाग-2): आंकड़ों का पहाड़ा पढ़ रहा प्रशासन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 06, 2014 Rating: 5

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