
प्रशासन के पास पहाड़ जैसा आंकड़ों का पहाड़ा है। जिसे वह समय-समय पर पढ़ा करता है। लेकिन सच्चाई यही है कि लोगों का अपना घर का सपना धूल में मिलता जा रहा है। सरकारी आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड में 197 कच्चा मकान पूर्णरूपेण जबकि 407 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 22 पक्का मकान पूर्ण रूप से तथा 51 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 6 हजार 205 लोगों की झोपड़ी


बहरहाल, हरिराहा के मीना देवी ने कहा कि हमलोगों
का नाम तो सूची में भी नहीं है। बता दें कि वर्ष 2008 में जब कुसहा टूटा था तो यहां समंदर
बहता था। यहां के कई लोगों ने बताया कि पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते
थम चुका हूं। कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। कायदे से विलुप्त झोपड़ी के नवनिर्माण
के लिए 2 हजार,
कच्चा मकान पूर्णत:
क्षतिग्रस्त होने पर 10 हजार, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर 15 सौ, पक्का मकान पूर्णरूपेण क्षतिग्रस्त
होने पर 25 हजार देने की सरकार ने घोषणा की थी। कालक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
ने भी बेघरों को घर के लिए 55-55 हजार रूपए देने की घोषणा की थी।
(सुपौल से बबली गोविन्द की रिपोर्ट)
कुसहा कलंक कथा (भाग-2): आंकड़ों का पहाड़ा पढ़ रहा प्रशासन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 06, 2014
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