ग्रामीण समाज में फेसबुक का बढ़ता चलन: “समस्या और निदान”

कंप्यूटर और इन्टरनेट का विकास संवाद के नियम और तरीको को आसन और सरल बनाने के उद्देश्य से किया गया |इसी क्रम में हमारे समाज ने अमेरिकन सोशल कम्युनिटी साईट फेसबुकको स्वीकारा है और इसके सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ते ही जा रही है | निःसंदेह यह एक बहुउपयोगी साईट है मगर यह एक लत विकार के रूप में सामने आने लग गयी और कई घटनाओं में तो प्रत्यक्ष कारण बन कर भी सामने उभरी है |
                                 फेसबुक में अकाउंट बनाने की न्यूनतम उम्र तो १६ साल है मगर अधिकांश टीन यूजर गलत जानकारी देकर अपना अकाउंट तैयार कर लेते है | चूंकि अब स्मार्ट फ़ोन ने हर घर में अपनी जगह बना ली है सो उस टीन यूजर को इसे इस्तेमाल करने के लिए घर के बाहर नहीं जाना पड़ता है और वे बिना रोके टोके किसी से भी मित्रता करते है, अपना फोटो, सन्देश या अन्य गोपनीय बातें भी निःसंकोच शेयर करते है | चूंकि उम्र कम होने के कारण अनुभव भी कम होता है |अत: वे भविष्य के समस्याओं से अनजान होते है |आज कम उम्र में प्यार, सेक्स, चोरी जैसे घटनाओ में बराबर फेसबुक की चर्चा समूचे देश भर में हो रही हो | ताजा घटनाक्रम में तो फेसबुक ने दंगा भड़काने  तक का काम किया |जबकि जरुरी है की हम पूर्व की घटनाओ से प्रेरणा ले ताकि इस प्रकार के होने  वाले समस्याओं से हम निजात पा सके |
                                 घर में फेसबुक पर प्रतिबन्ध लगा देने या मोबाइल फ़ोन छीन लेने से कदापि इसका समाधान नहीं हो सकता है , यह तो और उस ओर जाने के लिए बच्चे को प्रेरित करेगा | जरुरी है की घर के बड़े अपने बच्चे के साथ बैठ कर इस प्रकार के भविष्य में होने वाले समस्याओं की चर्चा करे |सही दोस्ती गलत दोस्ती के अंतर को समझाए |दोस्ती के आर में बढती सेक्स समस्याओं का भी खुल कर चर्चा करे | चुकी हमारे बच्चे आधुनिकता को अपनाने के लिए लालायित है मगर अभिवावक खुद जानकर नहीं है तो यह और गंभीर समस्या बन जाती है |
अभिभावक को भी चाहिए की वो बेसिक कंप्यूटर ज्ञान को हासिल करें , बराबर घर के सभी मोबाइल फ़ोन को चेक करे | मोबाइल पर pray project , Samsung App जैसे Software को डलवा कर रखें | ताकि बच्चों को भी ऐसा एहसास हो की अभिभावक सभी बातों की जानकारी रख रहे है | अपने बच्चे के अभिभावक को हमेशा प्यार से पेश आना चाहिए क्योकि उनकी नफरत ही बाहरी के लिए प्यार के मौके  को जन्म देती है |
अभिभावक को भी अपना सभी सोशल नेटवर्किंग साईट जैसे Facebook, Instagram, Twitter, Whatsapp, hike, beetalk आदि पर अपना अकाउंट रखना चाहिए और अपने घर के सभी बच्चों से उसके माध्यम से जुड़े रहना चाहिए |
                                 अभिभावक को यह याद रखना होगा की आप के चाहने से अधिकांश बच्चे कभी उसके उपयोग को बंद नहीं करते बल्कि चोरी छिपे और ज्यादा और गलत तरीके से उसका इस्तेमाल करने लगते है | जरुरी है कि आप उनके भी भावनाओ का सम्मान करते हुए अपने जिम्मेदारी का निर्वाह करे |
      जब बच्चे कुछ गलत करते है तो वह गलती बस अभिभावक की नजर देख सकती है उस बच्चे को इसका पता नहीं चलता और इस दुवंद में बच्चे अभिभावक को ही अपना दुश्मन मान बैठते है और अगर यहाँ विवेक और बुद्धि से काम नहीं लिया गया तो समस्या और विकराल सामाजिक प्रतिष्ठा का कारण बन जाती है |
                    सभी साथ मिलकर आधुनिकता और बदलाव के इस बयार में शामिल हो और इसका फायदा उठाते हुए अपना और अपने देश के सर्वागीण विकास में भागीदार बने सोच बदले समाज बदले क्यूकि परिवर्तन संसार का नियम हैं और जो इस नियम को रोकना चाहता हैं वो टूट जाता हैं.


संदीप शाण्डिल्य
समिधा ग्रुप , मधेपुरा
ग्रामीण समाज में फेसबुक का बढ़ता चलन: “समस्या और निदान” ग्रामीण समाज में फेसबुक का बढ़ता चलन: “समस्या और निदान” Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 17, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. great people great think...... aapko merela salam.....

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