विद्युत की उपलब्धता और खपत आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण
सूचकांक है। इसके बिना मानव सभ्यता का विकास असंभव है। इस कसौटी पर कोसी अंचल की स्थिति
काफी दयनीय है। खुद बिजली मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव के पंचायत मुरली के वार्ड संख्या
तीन व छह में बिजली नहीं है। मंत्री के विधानसभा क्षेत्र सुपौल के कई गांवों में बिजली
नहीं है सो अलग। तटबंध के बीच बसे लाखों की आबादी आज भी शहर में दुधिया रोशनी को देख
जीते हैं।
सवाल दर सवाल: बहुत बड़ा सवाल है- जो अपना घर दुरूस्त
नहीं कर सकता, वह...? यह बचाव का तर्क हो सकता है कि राजनीतिक कार्यपालिका (मंत्री) की नजर में पूरा
राज्य होता है। लेकिन यह भी सच है कि एक राजनेता अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़
सकते। श्री यादव सुपौल जिले के मुरली पंचायत के हैं। आश्चर्य नहीं कि उक्त पंचायत के
वार्ड नंबर तीन व छह में अब तक बिजली नहीं
पहुंच सकी है। वे लालू-राबड़ी हुकूमत में भी बिजली राज्य मंत्री पद को सुशोभित कर चुके
हैं। अब इससे बड़ी विडंबना की बात और क्या होगी कि बिजली मंत्री के पंचायत के लोग बिजली
को तरसें। खैर, पूर्व में मंत्री कहते थे कि 2009 तक हर गांव व 2011 तक हर घर में बिजली उपलब्ध हो जाएगी।
लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब 2015 की बात कर रहे हैं। स्थिति सूरदास की घी वाली है।
चलिये चलें मंत्री के पंचायत: वैसे, मंत्री के वार्ड में बिजली
है लेकिन पच्चास प्रतिशत से अधिक
लोग टोका लगाकर बिजली जलातें हैं। आखिर बोले तो बोले
कौन। वार्ड संख्या एक, दो, पांच व आठ में भी तकरीबन पच्चास फीसदी लोगों को ही बिजली मिल
रही है। हां, चार, सात,
नौ व दस के लोग जरूर
भाग्यशाली हैं। बहरहाल, गर्मी में पूरी प्रकृति स्तब्ध
रहती है। लोग चुपचाप अपने दरबों में सिमटे-सकुचे रहते हैं। ऊपर से बिजली का नहीं रहना
वह भी बिजली मंत्री के पंचायत में, कई एक सवाल खड़े कर रहे हैं। यह विडंबनाओं का आइना ही तो है।
पूछने पर मंत्री वही बात कहते हैं, राजनीतिक कार्यपालिका (मंत्री) की नजर में पूरा राज्य होता है।
लोग टोका लगाकर बिजली जलातें हैं। आखिर बोले तो बोले
कौन। वार्ड संख्या एक, दो, पांच व आठ में भी तकरीबन पच्चास फीसदी लोगों को ही बिजली मिल
रही है। हां, चार, सात,
नौ व दस के लोग जरूर
भाग्यशाली हैं। बहरहाल, गर्मी में पूरी प्रकृति स्तब्ध
रहती है। लोग चुपचाप अपने दरबों में सिमटे-सकुचे रहते हैं। ऊपर से बिजली का नहीं रहना
वह भी बिजली मंत्री के पंचायत में, कई एक सवाल खड़े कर रहे हैं। यह विडंबनाओं का आइना ही तो है।
पूछने पर मंत्री वही बात कहते हैं, राजनीतिक कार्यपालिका (मंत्री) की नजर में पूरा राज्य होता है।
सबकुछ है बिजली नहीं : विजेन्द्र सुपौल विधानसभा क्षेत्र
का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके विधानसभा क्षेत्र के गांवों में लोकतंत्र पहुंचा हुआ
है। पार्टियां भी पहुंच चुकी है। झुंड के झुंड मतदान करते हैं। लेकिन आज भी बड़ी संख्या
में ऐसे गांव हैं जहां बिजली नहीं पहुंच पायी है। बाजार पहुंच गये हैं। टूथपेस्ट,
क्रीम, पाउडर, कंडोम से लेकर कोका कोला,
पेप्सी तक देशी के
पाउच से लेकर विदेशी पाउच तक उपलब्ध हैं। अनुपलब्ध है तो बिजली। वह भी बिजली मंत्री
के क्षेत्र में। कुल मिलाकर, यह सोचकर मन प्रकम्पित हो जाता है। यादव को कितना प्यार और सम्मान
दिया है यहां के लोगों ने! लेकिन बिजली की स्थिति जस की तस है। हां, अन्य क्षेत्रों में मंत्री
ने जरूर विकास किया है। शहर की सूरत बदली है।
(श्री गोविन्द दैनिक भास्कर से जुड़े हुए हैं)
घोर आश्चर्य ! बिजली मंत्री के पंचायत में बिजली नही है.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 18, 2013
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