शशिप्रभा: जिनके सुर में बसती है सरस्वती

इनकी आवाज का जादू ऐसा कि सुर की लहरें जब गले से निकलती है तो लगता है जैसे सरस्वती का साक्षात वरदान मिला हो इन्हें. आज हम आपके सामने ला रहे हैं मधेपुरा की एक ऐसी शख्सियत को जिसमें संगीत की अदभुत प्रतिभा होने के बाद भी वह सीमित जिंदगी जीना चाहती है.
मधेपुरा के नवोदय विद्यालय के अंतर्गत नवोदय बाल निकेतन की संगीत शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल खुद को अधिक लोकप्रिय बनाने की बजाय बच्चों को संगीत की शिक्षा देना अधिक जरूरी समझती हैं. खुद को सीमित रखने में विश्वास रखने वाली शशिप्रभा बेबाक होकर कहती हैं कि आज के समय में ऊँचाई पाने के लिए कई जगह कॉम्प्रोमाइज करने होते हैं जो जिंदगी में स्थायित्व नहीं दे सकता.

       शास्त्रीय संगीत पर जबरदस्त पकड़ रखने वाली शशिप्रभा जायसवाल का जन्म इलाहाबाद में सन 1979 में हुआ था. पिता व्यवसाय से जुड़े थे पर बचपन से ही माँ को भजन गाते देखा तो संगीत की ओर झुकाव बढ़ता चला गया. ग्रेजुएशन में भले ही शशिप्रभा का विषय इतिहास रहा हो पर इन्होने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत में प्रवीण (मास्टर) जैसी कठिन डिग्री हासिल की. हाईस्कूल पास करने के बाद जब इलाहाबाद में इन्होनें संगीत के कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू किया तो इनकी आवाज का जादू श्रोताओं के सर चढ़कर बोला. मधेपुरा में शादी हुई तो शशिप्रभा ने जिले में ही नौकरी करना बेहतर समझा.
      2010 और 2011 में बिहार के राज्यस्तरीय युवा महोत्सव, वर्ष 2009 में हरिद्वार से आस्था चैनल पर बिहार की ओर से भजन प्रस्तुति आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में सुरों का जादू बिखेर चुकी शशिप्रभा काफी सुलझे व्यक्तित्व की हैं और कहती है कि शास्त्रीय संगीत के बिना संगीत की कल्पना ही बेमानी है. मधेपुरा टाइम्स के प्रबंध संपादक से विशेष बातचीत में शशिप्रभा कहती हैं जब तक गाऊँगी स्तरीय संगीत ही आधार होगा. सस्ती लोकप्रियता के लिए फूहड़ गाने गाना संगीत जैसी विशिष्ट विधा का अपमान है.
(शशिप्रभा के गाये और गाने जल्द ही मधेपुरा टाइम्स पर)
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
शशिप्रभा: जिनके सुर में बसती है सरस्वती शशिप्रभा: जिनके सुर में बसती है सरस्वती Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 19, 2013 Rating: 5

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