इनकी आवाज का जादू ऐसा कि सुर की लहरें जब गले से
निकलती है तो लगता है जैसे सरस्वती का साक्षात वरदान मिला हो इन्हें. आज हम आपके सामने
ला रहे हैं मधेपुरा की एक ऐसी शख्सियत को जिसमें संगीत की अदभुत प्रतिभा होने के
बाद भी वह सीमित जिंदगी जीना चाहती है.
मधेपुरा के नवोदय विद्यालय के
अंतर्गत नवोदय बाल निकेतन की संगीत शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल खुद को अधिक लोकप्रिय
बनाने की बजाय बच्चों को संगीत की शिक्षा देना अधिक जरूरी समझती हैं. खुद को सीमित
रखने में विश्वास रखने वाली शशिप्रभा बेबाक होकर कहती हैं कि आज के समय में ऊँचाई
पाने के लिए कई जगह ‘कॉम्प्रोमाइज’ करने होते हैं जो जिंदगी में
स्थायित्व नहीं दे सकता.


2010 और 2011 में बिहार के राज्यस्तरीय युवा महोत्सव, वर्ष 2009
में हरिद्वार से आस्था चैनल पर बिहार की ओर से भजन प्रस्तुति आदि जैसे महत्वपूर्ण
कार्यक्रमों में सुरों का जादू बिखेर चुकी शशिप्रभा काफी सुलझे व्यक्तित्व की हैं
और कहती है कि शास्त्रीय संगीत के बिना संगीत की कल्पना ही बेमानी है. मधेपुरा
टाइम्स के प्रबंध संपादक से विशेष बातचीत में शशिप्रभा कहती हैं जब तक गाऊँगी
स्तरीय संगीत ही आधार होगा. सस्ती लोकप्रियता के लिए फूहड़ गाने गाना संगीत जैसी
विशिष्ट विधा का अपमान है.
शशिप्रभा के गाये गीत 'आओ मेरे कंठ विराजो' सुनने के लिए यहाँ
क्लिक करें.
'मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
'मीठे रस से भरे राधा रानी लागे' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
'मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
'मीठे रस से भरे राधा रानी लागे' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
(शशिप्रभा के गाये और गाने जल्द
ही मधेपुरा टाइम्स पर)
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
शशिप्रभा: जिनके सुर में बसती है सरस्वती
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 19, 2013
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