सिंघेश्वर के मजरहट का इस्लामपुर ख़ाक हो चुका है.
यदि कुछ बचा है तो बस पीडितों की चीख-पुकार. पूरी बस्ती के ख़ाक हो जाने और
कपडे-अनाज तक जल जाने से अब यहाँ के लोगों को दाने-दाने को मुंहताज हो चले थे.
प्रशासन की तरफ से राहत ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है.
हालांकि
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता यहाँ दिख रही है. जिलाधिकारी, एसडीओ,
सिंहेश्वर के विधायक, मधेपुरा के समाजसेवी गाँव में लगातार कैम्प किये हुए हैं और
पीडितों को हरसंभव सहायता पहुंचाने की कोशिश में हैं. विधायक रमेश ऋषिदेव ने
जानकारी दी कि जिला प्रशासन के सहयोग से
पीडितों को अस्थायी घर बनाने के लिए पॉलीथीन शीट्स बांटे जा रहे हैं और खाने के लिए गुड़-चूरा आदि उपलब्ध करा दिए गए है. मौके पर मौजूद समाजसेवी शौकत अली बताते हैं कि इस भीषण अगलगी के बाद इस्लामपुर के सारे चापाकलों ने काम करना बंद कर दिया है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए बोरिंग से गाँववालों को पानी मुहैया करवाया जा रहा है. बर्बाद हो चुके गाँव के लोग अपने उजड़े घरों के सामानों को कुरेद कर देख रहे हैं कि शायद कुछ भी काम लायक बची हुई चीज मिल जाए.
पीडितों को अस्थायी घर बनाने के लिए पॉलीथीन शीट्स बांटे जा रहे हैं और खाने के लिए गुड़-चूरा आदि उपलब्ध करा दिए गए है. मौके पर मौजूद समाजसेवी शौकत अली बताते हैं कि इस भीषण अगलगी के बाद इस्लामपुर के सारे चापाकलों ने काम करना बंद कर दिया है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए बोरिंग से गाँववालों को पानी मुहैया करवाया जा रहा है. बर्बाद हो चुके गाँव के लोग अपने उजड़े घरों के सामानों को कुरेद कर देख रहे हैं कि शायद कुछ भी काम लायक बची हुई चीज मिल जाए.
बदहाल अग्निशामक विभाग: मधेपुरा का अग्निशामक
विभाग जिला प्रशासन के लापरवाही की पूरी दास्ताँ कह रहा है. रविवार की भीषण अगलगी
में जिला मुख्यालय से दमकल की गाड़ी तो इस्लामपुर पहुंची पर नहर पर जाकर फंस गई.
इसे जाने को सुगम रास्ता नहीं मिल सका और जब तक ये पहुंची तबतक आग की लपटों पर
गाँववालों ने ही काबू पा लिया था. दिखावे का दमकल थोड़ा-बहुत पानी छिडककर अपने
कर्तव्य की इतिश्री कर सका. समाजसेवी शौकत अली कहते हैं कि जिले के दमकलों को पानी
की अपनी व्यवस्था नहीं है. कहीं पहुँचने पर वो वहां से पानी का स्रोत तलाशते हैं
और तबतक हालत पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है. प्रशासन का रवैया नागवार है.
इस साल
ये भीषण अगलगी की पहली घटना है. पिछले रिकॉर्ड्स को देखें तो गर्मी की तेज हवा
जिले में और भी कहरें बरपा सकती हैं और लोग यूं ही बर्बाद होते रहेंगे यदि
अग्निशामक व्यवस्था के मामले में जिला प्रशासन यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा.
पीडितों का रो-रो के बुरा हाल: जिले का अग्निशामक बदहाल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 01, 2013
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