दोहरी नीति वाले थे बाल ठाकरे

मीडिया में इस बात की जोर जोर से चर्चा हो रही है की बाल ठाकरे कभी सत्ता की राजनीत नहीं की, लेकिन कोई ये बता नहीं पाया की कैसे ? विदित ही उन्होंने  पूरा जीवन सत्ता के लिए ही लड़ा. सच को सच बनाने के लिए दो लोगो की जरुरत होती है, एक जो सच बोल सके और दूसरा जो सच सुन सके ! अपनी मुंहफट  भाषा के लिए हम ठाकरे साहेब  को याद कर सकते है पर दोहरी नीति और दोहरी राजनीत को कैसे नकार सकते है ? ये वही ठाकरे थे जो पश्चिमी सभ्यता का पक्ष लेते हुए माइकल जैक्सन का स्वागत में समारोह करते थे ,परन्तु वेलेंटाइन का खुलेआम विरोध करते थे, ऊपर से शिव सैनिको का उत्पात ? जावेद मियादाद को घर पर बुलाकर सायं कालीन भोजन दे सकते थे, लेकिन पाकिस्तानी टीम को इंडिया में खेलने के नाम पर पिच तक खुदवा दे, वाह रे नीति !
        सत्तर के दशक में किसान आंदोलन जोर शोर से था, सूती मिलों के मालिको पर मजदूरो का शोषण उग्र था, दुनिया जानती है किसान नेता कृष्णा देशाई की हत्या शिव सैनिको ने की, क्या ये देश हित और किसान हित की बात थी ? इमरजेंसी में कांग्रेस की सहायता इन्होने खुलेआम की, जबकि ये काम किसी विचार धारा से प्रेरित नहीं थी, बल्कि इन्हें डर था की कही इंदिरा हमें जेल में ना डाल दे | कथनी करनी दिखती है, जवाब मांगे जायेगे तुलना की जायेगी !
         जिस मराठी मानुष की बात में हिंदुत्व का जोर डालते है इसपर भला क्या लिखा जाए. कुछ भी लिखे बेईमानी ही होगी | उत्तर भारतीय हिंदी भाषाओँ तथा राज्यों के नागरिकों के प्रति क्या इनका रवैया था जगजाहिर है, अमिताभ जैसे कुछ इलीट वर्ग को छोड़ दिया जाए तो सम्पूर्ण उत्तर भारत इनके नजर में दूसरे देश के नागरिक थे, बिहार यूपी के नागरिको पर हुए जुल्म छुपे नहीं है. मुझे याद आती है नागार्जन की कविताएं ......

कैसा शिव ? कैसी शिव सेना ? कैसे शिव के बैल ?
चौपाटी पर नाच रहा है भस्मासुर बिगडैल.
बर्बरता की ढाल ठाकरे !
प्रजातंत्र के काल ठाकरे !
धन-पिशाच के इंगित पाकर ऊंचा करता भाल ठाकरे !
चला पूछने मुसोलिनी से अपने दिल का हाल ठाकरे !
बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे !
-नागार्जुन

भारतीय लोकतंत्र की मजबूती है कि यहाँ हिटलर ताकतों का पूर्णोदय नहीं हो सकता | हमारे भारतीय संस्कार हैं कि हम नाजीवादी अलोकतांत्रिक अभिव्यक्तियों को भी श्रद्धांजलि देते है |अशांत राजनीत के अग्रदूत को इश्वर शान्ति प्रदान करे |अब तो द्वन्द राज ठाकरे  और उद्धव में इस बात का होगा कि वे दोनों मिलकर उत्तर भारतीय गरीबो को मारेंगे एक साथ या  अलग -अलग ? ये एक यक्ष प्रश्न नहीं, जवाब जल्द ही मिलेगा.


 
--रंजन कुमार, पटना 


(ये लेखक के निजी विचार हैं)
दोहरी नीति वाले थे बाल ठाकरे दोहरी नीति वाले थे बाल ठाकरे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 27, 2012 Rating: 5

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