पंकज भारतीय/18 अगस्त 2012
हाफिज ही मुहाफिज है, हाफिज ही सिपाही है”
यह स्याह
सच है उस आयोग की जिसे कुसहा त्रासदी के दोषियों की पहचान करने के लिए राज्य सरकार
द्वारा नियुक्त किया गया था.इस आयोग को मात्र तीन महीने में ही दोषियों की पहचान
करनी थी लेकिन चार साल बीतने के बाद भी मुश्किल से यह आयोग ढाई कोस भी नहीं चल
पाया है.यहाँ हम बात कर रहे हैं जस्टिस राजेश वालिया आयोग की जिन्हें यह कार्य
सौंपा गया था कि किनकी गलती की वजह से कुसहा जैसी त्रासदी लिखी गयी थी.
यह
त्रासदी नहीं महाप्रलय था ऐसा सूबे के मुख्यमंत्री ने भी कहा था.शायद यही वजह थी
कि राजेश वालिया आयोग का गठन हुआ.लेकिन वालिया आयोग की मियाद साल-दर-साल बढ़ती चली
गयी.अब तक करोड़ों रूपये इस आयोग पर खर्च तो हो चुके हैं लेकिन त्रासदी के जिम्मेवार
कौन थे, यह आज भी तय नहीं हो सका है.चार साल बाद भी जिम्मेवारी तय नहीं होना जांच
आयोग और
राज्य सरकार की मंशा पर सवालिया निशान हैं.(इसे भी पढ़ें: सनसनीखेज
खुलासा:नब्बे लाख निकला निरर्थक)
18 अगस्त
की यह तारीख उनलोगों को कुछ अधिक ही कचोटती है जिन्होंने इस त्रासदी में अपनों को
खो दिया है.वे जानना चाहते हैं कि उन्हें जो सजा मिली है उसमे उनका कसूर क्या था?
वहीं दूसरी तरफ मानव-वध के आरोपी रहे कोसी योजना से जुड़े इंजीनियर और संवेदक जिनके
हाथ खून से सने हैं, जांच आयोग की शिथिलता की वजह से चैन की नींद सो रहे हैं.
दूसरी तरफ पीड़ित परिवारों की आखों की नींद इसलिए गायब है कि वे सच जानना चाहते
हैं.
एक आम
सवाल यह भी उठने लगा है कि कहीं इस जांच आयोग का भी हश्र वही न अहो जाए जो अक्सर
अब तक दूसरे जांच आयोगों का होता रहा है.क्योंकि आज भी कोसी योजना की स्थिति बेहतर
नहीं है.एंटी-इरोजन और फ्लड फाइटिंग के नाम पर आज भी करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे
हैं.अभियंता-संवेदक गठजोड़ की वजह से कोसी लूट का अड्डा साबित हो रहा है.ऐसे में
अगर फिर नवमी बार कोसी बेलगाम होकर तटबंध के बाहर आ जाये और फिर लीपापोती के लिए
किसी जस्टिस आयोग का गठन करने की जरूरत पड़ जाय तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
कौन हैं कुसहा त्रासदी के दोषी???
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 18, 2012
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