रहने को घर नहीं,सड़क पर ही जलाये दिए

महादलित के घरों की सजावट
रूद्र ना० यादव/२७अक्टूबर २०११
दीपावली की सजावट पूरे जिले के लोगों ने की.अमीरों ने अपने घरों को विभिन्न तरीकों से रौशन किया.इनकी सजावट देखते ही बनती थी और जाहिर सी बात थी कि उत्साह से भरे इन अमीरों की सजावट दूसरों को औकात दिखाने के लिए ही थी. पर वैसे लोगों की सजावट और दर्द देखने की ख्वाहिश शायद किसी को न थी,जिनके लिए जिंदगी के पल मुश्किलों में गुजर रहे हैं.जी हाँ,हम बात कर रहे हैं शहर तथा जिले में बसे महादलितों की.रहने को तो इनके पास ठीक से घर भी नहीं है तो फिर कैसे मनाएं दिवाली और क्या सजाएँ?घर भले ही नाले पर हों,पर हैं तो आदमी ही.पर्व त्यौहार पर खुशी को तो व्यक्त करना ही है.चलो,जहाँ रहते हैं,उसे ही सजाया जाय.यानि इन्होने सड़क को अपना घर बनाकर सजा लिया.इस दिवाली के अवसर पर
ऐसे सजा अमीरों का घर
महादलितों ने सड़कों पर ही किनारे से दीये जलाये.कुछ ने केले के पेड़ भी लगाये और उस पर मोमबत्तियाँ जलाईं.दीपावली की रात भी इनके बच्चों के शरीर पर नए कपड़े तो दूर,कपड़े भी नहीं थे.
        पूछने पर उन्होंने निराश होकर कहा कि हमारे घर बनने के लिए जो पैसे आये थे उसे दबंगों और दलालों ने हथिया लिया,जिनके घरों पर आज झालर की रौशनी हो रही है.सरकार तो हमें कोई सुविधा देने से रही,क्योंकि उनसे जुड़े लोग ही हमारा पैसा खा जाते हैं.हम जिन्दा हैं,बस यही गनीमत है.सोचा था,सरकार बदलेगी,हमारी भी किस्मत बदलेगी,पर कोई सरकार आ जाये,हमें देखने वाला कोई नहीं.
रहने को घर नहीं,सड़क पर ही जलाये दिए रहने को घर नहीं,सड़क पर ही जलाये दिए Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 27, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. koi nahi hai jo en daliton ki thori bhi khabar le .kahne ke liye sarkar en ke liye dher sari yojna chala rahi hai par kitni yojna ka labh en tak pahuch pata hai ise dekne wala koi nahi hai .sarkar ki sari yojna sirf kamane khane ke liye hoti hai amiro ki tarah inke pas bhi armaan hote hain parantu ye to amiron ki khusiyon ka saadhan matr hote hain .

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