जागते रहो !...पर 16 वर्षों में भी नही जगा प्रशासन

रूद्र नारायण यादव/०६ फरवरी २०११

इस  व्यक्ति के चेहरे की झुर्रियाँ देखिये.ये झुर्रियाँ इन्हें प्रशासन ने इनकी कर्तव्यनिष्ठा के लिए दिए हैं.बिलट शर्मा आज दाने-दाने को मुहताज हैं.जिंदगी के महत्वपूर्ण वक्त को इन्होने सरकार के नाम चौकीदार की नौकरी करते बिता दी.जागते रहो..जागते रहो की आवाज से ये लोगों को तो जगाते रहे,पर मधेपुरा प्रशासन को जगाना इनके बूते की बात नही रही.१९९५ में गम्हरिया थाना से रिटायर किये बिलट शर्मा को १६ साल गुजरने के बाद भी सरकार ने अभी  तक पेंशन देना उचित नही समझा.सरकारी नौकरी की एक बहुत बड़ी उम्मीद पेंशन होती है जिससे रिटायरमेंट के बाद भी व्यक्ति अपने परिवार की देखरेख समुचित ढंग से कर पाता है.बिलट एक अपवाद हैं जिनका पेंशन प्रशासन की लापरवाही से शुरू ही नही किया गया.दर-दर की ठोकरें खाते
एसपी के पास गुहार लगते बिलट
बिलट ने पेंशन दिलवाने के लिए एक-एक दरवाजा खटखटाया,पर ढाक के तीन पात.अब फिर से बिलट ने हौसला जमा किया और पहुंचे अपने विभाग के जिले के सर्वोच्च पदाधिकारी एसपी साहब के पास जनता दरबार में .यहाँ जब उन्होंने अपनी दुखभरी कहानी सुनाई तो एसपी साहब ने दरियादिली दिखाई और कहा कि मामले को भेज देते है डीएम साहब के पास,क्योंकि पेंशन दिलवाने के मालिक जिलाधिकारी ही होते हैं.
       बिलट की उम्र ७५ साल हो चुकी है.अब देखना है कि क्या बिलट अपनी मौत से पहले अपने परिवार  के लिए  अपने पेंशन के पैसे से दाल-रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं या नही?
जागते रहो !...पर 16 वर्षों में भी नही जगा प्रशासन जागते रहो !...पर 16 वर्षों में भी नही जगा प्रशासन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 06, 2011 Rating: 5

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