आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि आशा कार्यकर्ता, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, को उनकी सेवाओं के लिए समय पर पारिश्रमिक मिलना चाहिए। ये कार्यकर्ता ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, और कई अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से संलग्न हैं। हालांकि, इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा और जब भी वे अपने अधिकारों की मांग करते हैं, तो बीसीएम उनसे पैसे की मांग करता है।
आशा कार्यकर्त रंजना कुमारी ने कहा कि कोरोना समय के पैसे मिलने की बात का प्रत्येक आशा कार्यकर्ता से पांच ₹500 की उगाही की गई. बीसीएम द्वारा मांग की जा रही नकद राशि न केवल उनके पारिश्रमिक में कटौती के रूप में देखी जा रही है, बल्कि यह भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है। आशा कार्यकर्ताओं के मुताबिक, इस प्रकार के भ्रष्टाचार के चलते न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके मनोबल और कार्य क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इस आरोप को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों से न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अगर बीसीएम पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे और भी गंभीर कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं। आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी समस्याओं और शिकायतों को मीडिया के माध्यम से भी उजागर किया है ताकि जनमानस को इस स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके और उचित कदम उठाए जा सकें।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा जब जिला पदाधिकारी से मिलकर मामले की शिकायत की गई तब जिला पदाधिकारी द्वारा जांच टीम आज मुरलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर मामले की जांच की. आशा कार्यकर्ताओं की शिकायतों का समाधान यहां कार्यरत बीसीएम के तत्काल तबादले की मांग की कर ही इस मुद्दे को सुलझाया की दिशा में पहल करने को कहा जिससे आशा अपनी सेवाओं को निर्बाध रूप से जारी रख सकें।
जांच टीम में पहुंचे डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि जांच के क्रम में सभी पहलुओं को देखा गया. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा बीसीएम पर लगाए गए आरोपी की जांच की गई है. वहीं वहीं जिले से आशाओं के डीसीएम ही जांच में पहुंचे हैं. वे भी यहां की स्थिति से एवं आशा कार्यकर्ताओं की समस्या से अवगत हुए हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा भी मामले की जानकारी ली गई है, सारे रिपोर्ट को जिला पदाधिकारी को सौंप दी जाएगी. फिर उनके अनुसार जो आदेश होगा वह कार्रवाई की जाएगी. वहीं जांच टीम में डॉ मुकेश कुमार सिंह, वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफीसर डीसीएम (जिला कम्युनिटी मोबिलाइज) डॉ रंजना भगत, एमसीडी ऑफिसर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा प्रभारी मुरलीगंज डॉक्टर संजीव कुमार, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मो शहाबुद्दीन ,बीसीएम पूजा प्रिया मौजूद थी.
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