नर ही नारायण: दुखी राम के दर्द को देखकर पिघले जिला न्यायाधीश, अपनी ओर से लोन की राशि चुकाकर खत्म करवाया केस
दरअसल न्यायालय परिसर में शनिवार को लगे राष्ट्रीय लोक अदालत में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, मधेपुरा के अध्यक्ष सह जिला न्यायाधीश श्री शिव गोपाल मिश्र, सचिव सह एसीजेएम श्री राजेश कुमार के साथ विभिन्न स्टॉल व बेंचों को निरीक्षण करने निकले थे. इसी दौरान उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के शिविर के निकट चल फिर पाने से असहाय एक व्यक्ति जिला जज से गुहार लगाकर रोने लगे.
पूछने पर लोक अदालत में आये पिपराही (मठाही) मधेपुरा निवासी दुखी राम पिता-जागो राम ने बताया कि कृषि कार्य हेतु 2005 में उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक से लोन लिए थे, जो ब्याज सहित 58000 रुपये हो गए थे। बाकी रूपये किसी तरह दुखी राम ने चुकता तो किये पर आज बैंक वालों ने दुखी राम को बताया कि अब और छ: हजार रुपये जमा कीजिये तब ही आपका लोन खत्म होगा। अपने दाएं पैर और हाथ से विकलांग दुखी राम मात्र एक हजार देने के बाद शेष राशि देने में असमर्थता जाहिर की। जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री शिवगोपाल मिश्र उसकी लाचार स्थिति देखकर द्रवित हो गए और अपनी ओर से 5000 रुपये निकाल कर दुखी राम की तरफ से वहाँ जमा करवा कर केस ख़त्म करवा दिया।
ये अपने आप में एक हटकर उदाहरण है जिसे मानवता की मिसाल की तरह देखा जा सकता है. न्याय की कुर्सी पर बैठने वाले यदि अपने न्यायालयों में लंबित मुकदमों से परे इस तरह की मानवता की मिसाल पेश करते हैं तो आम लोगों में न्यायालय के प्रति आदर और सम्मान बढ़ना लाजिमी है.
(ब्यूरो रिपोर्ट)

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