ताजा मामला उत्क्रमित मध्य विद्यालय एकपरहा का बताया जा रहा है. जहां प्रधानाध्यापक की मौजूदगी में विद्यालय के शिक्षक बच्चों के भविष्य को संवारने के बदले बेंच पर चैन की नींद ले रहे हैं. बच्चे वर्ग कक्ष में बिना पोषाक के खेलने में मस्त दिखे. इस दौरान अगर बच्चे के साथ किसी तरह की दुर्घटना हो जाती है तो इसे देखने वाला कौन होगा. बताया गया कि आराम फरमाते शिक्षक प्रधानाध्यापक मो कासिम की मौजूदगी में रामचंद्र रमण एवं उपेंद्र पासवान हैं.
स्थानीय लोग भी अब विद्यालयों की व्यवस्था से आजिज हो गए लगते हैं. उन्होंने अब मौकों की तस्वीरें लेना भी प्रारम्भ कर दिया है. लोगों ने कहा कि सरकारी विद्यालय की विधि व्यवस्था चौपट हो रही है. प्रखंड क्षेत्र में शिक्षक विभिन्न तरह के संगठनों से जुड़ कर अपने हक की बात करते हैं, लेकिन सरकार जो राशि शिक्षकों को देती है, हम गरीब परिवार के बच्चों के भविष्य को संवारने के लिये उनका क्या होगा. शिक्षक मनमाने तरीके से स्कूल आते हैं और बच्चों को पढ़ाने के बजाय विद्यालय के बेंच पर आराम फरमाते हैं, ऐसे में विद्यालय में क्या पढाई होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. लोगों को हर हाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार चाहिए.
वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, गम्हरिया, नवल किशोर सिंह ने कहा कि मामले की जानकारी नहीं थी. इस बावत पता किया जा रहा है. दोषी पाये जाने पर एक दिन का वेतन रोकते हुये विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.
बता दें कि इससे पहले पुरैनी प्रखंड के एक स्कूल में एक शिक्षक की सोते हुए तस्वीर बीडीओ ने ही खींच ली थी. कई लोगों का कहना है कि अभी जांच के भय से ग्रामीण इलाकों के भी कई स्कूलों में शिक्षकों का आना तो बढ़ा है पर आदत नहीं रहने की वजह से ये पढ़ा नहीं पा रहे हैं और आराम फरमाने लगते हैं. जरूरत है ऐसे शिक्षकों पर सख्ती की ताकि गरीब बच्चे भी पढ़ने का सपना सजा सके.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 02, 2023
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